Friday, November 22, 2024
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चीन के साथ तनातनी के बीच आज भारत-अमेरिका के बीच होने जा रही बड़ी डिफेंस डील, ताकतवर होगी सेना…

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ बने तनावपूर्ण संबंधों के बीच भारत और अमेरिका के बीच मंगलवार को एक अहम रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर होने जा रहे हैं। इस समझौते के तहत दोनों देश रक्षा उद्देश्यों के लिए एक दूसरे के उपग्रहों के आंकड़ों एवं नक्शों की सूचनाएं साझा कर सकेंगे। अमेरिका के साथ 2016 में हुए लिमोआ समझौते के बाद इसे दूसरा बड़ा अहम समझौता माना जा रहा है।

टू प्लस टू यात्रा के लिए भारत आए अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क टी. एस्पर ने सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ बेसिक एक्सचेंज एंड कोआपरेशन एग्रीमेंट (बेका) पर हस्ताक्षर किए जाने पर भी संतुष्टि व्यक्त की। रक्षा मंत्रालय द्वारा दी गई इस जानकारी के बाद इस बहुप्रतीक्षित समझौते पर मंगलवार को हस्ताक्षर होने का रास्ता साफ माना जा रहा है।

रक्षा मामलों के जानकारों के अनुसार, बेका समझौता भारत की रक्षा ताकत में इजाफा करेगा। इससे वायुसेना और नौसेना की ताकत भी बढ़ेगी। दरअसल, इस समझौते के तहत दोनों देश एक दूसरे को उपग्रह से प्राप्त होने वाली रक्षा सूचनाओं को साझा कर सकेंगे। इसके तहत जियो स्पाइटल सूचनाएं, नक्शे और उपग्रह से प्राप्त आंकड़े एवं तस्वीरें शामिल हैं।

भारत के लिए यह समझौता इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका इस मामले में तकनीकी रूप से बेहद मजबूत है। उसके सटीक नेटवर्क का लाभ भारतीय सेनाओं को मिलेगा। युद्ध की स्थिति में यह सूचनाएं भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी। इनसे सेनाएं मिसाइल, आर्म्ड ड्रोन तथा अन्य स्वचालित रक्षा उपकरणों का प्रभावी इस्तेमाल कर सकेंगी। भारतीय सेनाओं की लक्ष्य को सौ फीसदी सटीकता के साथ भेदने की संख्या में इजाफा होगा।

उपग्रह के आंकड़ों से समुद्र में पोतों और आसमान में वायुयानों की सटीक लोकेशन को ट्रैक करना और उन पर सटीक निशाना लगाना संभव होगा। इसके अलावा दुश्मन के सैन्य ठिकानों को भी ट्रैक किया जा सकेगा। भारतीय सेनाएं उच्च क्षमता की जीपीएस सिस्टम एवं नैवीगेशन प्रणाली से लैस हो सकेगी। बता दें कि 2016 में भारत और अमेरिका के बीच लिमोआ समझौता हुआ था जिसके तहत दोनों देशों की सेनाओं के बीच लाजिस्टिक सुविधाओं के इस्तेमाल के लिए सहमति बनी थी। इसके तहत दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे की सैन्य सुविधाओं का इस्तेमाल पुनपूर्ति के लिए कर सकती हैं। इस हिसाब से बेका समझौता कहीं ज्यादा अहम है।

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