खैरागढ़ उपचुनाव में हार के बाद यह तय हो गया था कि भाजपा के प्रदेश संगठन में बड़ा बदलाव होगा। भाजपा का एक गुट शीर्ष नेतृत्व तक लामबंद हो गया था। सीएम चेहरे को लेकर भी बवंडर उठा, जिसके बाद पार्टी नेतृत्व को यह कहना पड़ा कि पीएम मोदी ही सबसे बड़ा चेहरा है। पीएम और कमल फूल के निशान पर भाजपा विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार करेगी। भारतीय जनता पार्टी ने बिलासपुर के सांसद अरुण साव को छत्तीसगढ़ भाजपा के नए अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी है। भाजपा डेढ़ साल बाद साव के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी। नए अध्यक्ष के सामने गुटबाजी को दूर कर संगठन को मजबूत करने की बड़ी चुनौती है। अध्यक्ष बदलने के साथ ही प्रदेश में अब नए सिरे से राजनीतिक समीकरण भी बनेंगे।
बता दें कि देश के दो राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बची हैं, जिसमें एक राजस्थान और दूसरा छत्तीसगढ़ है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सबसे मजबूत सरकार है। दोनों ही राज्यों में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होना है। इन चुनावों के ठीक एक साल बाद 2024 में लोकसभा के चुनाव होंगे। भाजपा की एक रणनीति यह है कि अगले लोकसभा चुनावों के पहले होने वाली विधानसभा चुनावों में भाजपा की बड़ी जीत सुनिश्चित की जाए। लोकसभा चुनावों तक किसी भी राज्य में कांग्रेस की सरकार न हो। छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए 15 नगरीय निकाय के चुनाव में भाजपा को सिर्फ जामुल नगर पालिका में जीत मिली। बीरगांव, भिलाई, रिसाली, भिलाई-चरौदा निगमों में कांग्रेस का कब्जा हो गया। इसके बाद खैरागढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की एकतरफा जीत ने भाजपा को चारों खाने चित्त कर दिया। इस हार के बाद भाजपा की गुटबाजी भी खुलकर सामने आ गई थी। प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठाए जाने लगे थे।
डॉ. रमन सिंह के गृह जिले में मिली थी हार
छत्तीसगढ़ में बीते 2 दशक से भाजपा की राजनीति डॉ. रमन सिंह के इर्द-गिर्द घूमती रही है। वह खुद 15 साल तक लगातार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं और उसके बाद बीते विधानसभा चुनाव में हार के बाद उन्हें भाजपा ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। अभी राज्य में भाजपा के सबसे बड़े नेता हैं। खैरागढ़ के उपचुनाव को उन्होंने अपने घर का चुनाव बताया था। परिणाम आने के बाद उनके नेतृत्व पर ही सवाल उठाए जाने लगे। पार्टी ने अब पिछड़ा वर्ग को नेतृत्व सौंपा है। देश की सर्वोच्च पद पर आदिवासी राष्ट्रपति बनाकर आदिवासी वर्ग को भी साधकर रखा है। राज्य में पिछड़ा वर्ग की बड़ी आबादी है।
छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग की सबसे बड़ी आबादी
दरअसल, कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में अपने नए नेतृत्व को सामने लाकर भाजपा की डेढ़ दशक की सरकार को हराया था। उसके बाद राज्य में भाजपा वापसी का माहौल नहीं बना पा रही है। दरअसल यह कांग्रेस की सामाजिक समीकरणों की राजनीति के कारण संभव हुआ है। आदिवासी व दलित राजनीति के बजाए कांग्रेस ने पिछ़़ड़ा समीकरण उभारे और वह सफल भी रही है। कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछड़ा वर्ग से आते हैं। राज्य में पिछड़ा वर्ग की आबादी सबसे ज्यादा है। 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास अभी 71 सीट है, जबकि भाजपा के 14 विधायक हैं।
‘छत्तीसगढ़ भाजपा को आक्रामक नेतृत्व की जरूरत’
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी लगातार हार और गुटबाजी से जूझ रही है। 4 उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। हाल ही में हुए 15 नगरीय निकायों के चुनाव में भाजपा को कांग्रेस ने चारों खाने चित्त कर दिया। लगातार हार के बाद शीर्ष नेतृत्व ने कहा कि अब छत्तीसगढ़ में पार्टी का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे और उनके ही चेहरे पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा। दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने जुलाई में भाजपा की राजनीति में खलबली मचा दी है। नंद कुमार साय ने साफ तौर पर कहा कि चुनाव को ज्यादा वक्त नहीं बचा है। समीक्षा करते हुए जल्द फैसला लेना जरूरी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में एक आक्रामक चेहरे की आवश्यकता है जो सुदूर इलाकों में भाजपा को पहुंचा सके। जिसकी बात में दम हो।
डॉ. रमन सहित भाजपा नेताओं ने ट्वीट कर यह कहा
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सांसद अरुण साव को छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने पर बधाई देते हुए कहा कि आपके नेतृत्व में नई ऊर्जा और उत्साह के साथ हम सभी पार्टी कार्यकर्ता पूरे समर्पण भाव से कार्य करेंगे और छत्तीसगढ़ में फिर से कमल खिलाएंगे। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी अरुण साव को बधाई दी है। वहीं भाजपा के पूर्व अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने अरुण साव को बधाई देते हुए कहा कि प्रदेश में संगठन के काम को आगे बढ़ाने हम सब आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे। विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने ट्वीट कर कहा आपके कुशल नेतृत्व में निश्चित ही हम छ.ग. को कांग्रेस के कुशासन से मुक्त कराएंगे और भाजपा का सुशासन पुनः बहाल करेंगे।