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इंडियन रेलवे: रोज 5,000 रुपए तक कमाई का मौका, 78 स्टेशनों पर सर्वे, यात्रियों को मिलेगा ये फायदा…

रेलवे जल्द ही स्थानीय कारोबारियों को रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में बिजनेस का ऑफर देने जा रहा है। इसके लिए करीब 78 स्टेशनों पर एक सर्वे किया गया है, जिसके नतीजे काफी उत्साहजनक रहे हैं। रेलवे अपनी इस पहल के जरिए स्थानीय कारोबार को बढ़ावा देने के साथ-साथ यात्रियों की यात्रा का आनंद भी कई गुना बढ़ाना चाहता है। इस योजना के लिए खास तौर पर अहमदाबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन से भी तालमेल की गई है। रेलवे के सर्वे से अंदाजा है कि इस बिजनेस में एक सामान्य वेंडर भी हर दिन पांच हजार रुपए या उससे भी ज्यादा की कमाई कर सकता है।

लोकल प्रोडक्ट को रेलवे देगा बड़ा बाजार

ट्रेनों में और रेलवे स्टेशनों पर फेरीवालों से सामान खरीदने के पुराने दिन वापस लौटने वाले हैं। लेकिन, यह बहुत बड़े बदलाव के साथ हो सकता है। रेलवे अब लोकल वेंडरों को ट्रेनों में और रेलवे स्टेशनों पर लोकल माल बेचने की अनुमति देने जा रहा है। देश के सबसे बड़े ट्रांसपोर्टर की इस पहल का मकसद स्थानीय कारोबार को बढ़ावा देना है। लेकिन, जाहिर है कि इसकी वजह से बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होने की भी संभावना बढ़ेगी। लेकिन, ठहरिए! यह सब पहले जैसा नहीं होने वाला है। अब रेलवे ऐसे लोकल वेंडरों को बेतरतीब नहीं, बल्कि डिजाइनर कार्ट और कीओस्क उपलब्ध करवाएगा, जहां से वे स्टेशनों पर भी अपना माल बेच सकेंगे और ट्रेनों में भी यात्रियों के हाथों तक पहुंचा सकेंगे।

‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’ नीति पर अमल शुरू

रेलवे ने इस पहल की शुरुआत अचानक नहीं की है। इस साल के केंद्रीय बजट में ही ‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’ की घोषणा की गई थी। रेलवे का लक्ष्य प्रत्येक रेलवे स्टेशन पर किसी एक लोकल प्रोडक्ट को प्रमोट करना है। पहले ट्रेनों में अक्सर हॉकर्स चढ़ जाते थे और लोकल प्रोडक्ट बेचते थे। इनमें से ज्यादातर खाने-पीने की चीजें होती थीं। हालांकि, वे गैरकानूनी तरीके से चढ़ते थे और उन खाद्य पदार्थों की सुरक्षा और स्वच्छता को लेकर भी चिंता बनी रहती थी। बाद में रेलवे की ओर से ऐसे गैर-कानूनी वेंडरों के खिलाफ सघन अभियान चलाया गया, जिसकी वजह से वे महत्वपूर्ण ट्रेनों और बड़े रेलवे स्टेशनों पर तो कम से कम दुर्लभ ही हो चुके हैं।

कई तरह के लोकल प्रोडक्ट बेचने का मौका मिलेगा

लेकिन, अब बहुत बड़े बदलाव लाने की तैयारी है। अब इस लोकल कारोबार को जरा बड़ा रूप दिया जा रहा है। इसमें वेंडरों को ना सिर्फ फूड प्रोडक्ट बेचने का मौका मिलेगा, बल्कि हैंडीक्राफ्ट से लेकर घरेलू सामान, सजावट की चीजें और यहां तक कि अगर संबंधित स्टेशन से जुड़े कुछ खास तरह के कपड़े प्रसिद्ध हैं और लोगों की उसमें दिलचस्पी रहती है, तो वह भी बेचे जा सकेंगे। लेकिन, ट्रेनों या रेलवे स्टेशनों पर इस तरह के कारोबार के लिए कुछ नियम भी होंगे, जिसमें सबसे पहला तो यही कि इसके लिए रेलवे से अनुमति लेनी पड़ेगी।

अभी सिर्फ आईआरसीटीसी से मान्यता प्राप्त वेंडरों को है अनुमति

अब ऐसा ना हो जाए कि निजी वेंडरों की वजह से स्टेशनों पर यात्रियों के चलने लायक जगह ही ना बच जाए। इसके लिए रेलवे ने अहमदाबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन के साथ तालमेल किया है। इसने ऐसे कीओस्क ऑन व्हील्स डिजाइन किए हैं, जिसमें विभिन्न कंपार्टमेंट बने होंगे और अलग-अलग प्रोडक्ट बेचने के लिए स्टॉल के साथ-साथ माल रखने के लिए स्टोरेज का भी इंतजाम होगा। यही नहीं उसमें प्रोडक्ट के डिस्प्ले के लिए भी जगह बनी होगी। फिलहाल सिर्फ आईआरसीटीसी से मान्यता प्राप्त वेंडरों को ही स्टेशनों पर या ट्रेनों में सामान बेचने की इजाजत मिली हुई है।

ट्रेनों में भी एक स्टेशन तक बेचने की मिलेगी अनुमति

रेलवे की नई सोच के तहत स्टेशनों पर लोकल माल बेचने वाले वेंडरों को अब ट्रेनों में चढ़ने की भी अनुमति रहेगी और वह एक स्टेशन तक ट्रेन में सफर करके भी यात्रियों को अपना माल बेच सकेंगे। यानी यदि कोई पैसेंजर किसी खास जगह से गुजर रहा है और उसे वहां की कोई प्रसिद्ध चीज खरीदने की इच्छा है। अगर उसके पास स्टेशन पर उतरकर खरीदने का वक्त नहीं है तो उसे अब ट्रेन में बैठे-बैठे ही वह चीज खरीदने का मौका मिल सकता है। क्योंकि, पूरा कारोबार नियमों से बंधा होगा, इसलिए किसी तरह की गड़बड़ी की समस्या होने की भी आशंका कम हो जाएगी।

1,500 रुपए का चार्ज देना होगा

एक अधिकारी ने बताया, ‘योजना स्थानीय व्यापार संघों से संपर्क करने और उन्हें लोकल प्रोडक्ट को बेचने के लिए रेलवे प्लेटफॉर्म पर जगह लेने का मौका देने की है, चाहे वह हैंडीक्राफट, खाने की चीजें या कपड़े हों। प्रत्येक वेंडर को 1,500 रुपये का चार्ज देना होगा और वे 15 दिनों के लिए अपना माल बेच सकते हैं, जिसके बाद वह स्थान दूसरे वेंडर को दिया जा सकेगा। ये वेंडर ट्रेन में भी सफर कर सकेंगे और एक स्टेशन तक जाकर अपने उत्पाद बेच सकेंगे।’

रोजाना 5,000 रुपए की कमाई की संभावना दिखी

अधिकारी का कहना है कि इस नीति के तह 78 से ज्यादा स्टेशनों पर एक टेस्ट ड्राइव चलाया गया, जिसमें वेंटरों के लिए प्रति दिन 5,000 रुपए कमाई की संभावना देखी गई है। यानी अब ट्रेनों में सफर करने के दौरान यात्री अपनी पसंद का जलेबी और श्रीखंड का स्वाद भी चख सकते हैं, अगर अहमदाबाद से गुजर रहे हों तो ढोकला और फाफड़ा, मुगलसराय जंक्शन पर पूड़ी आलू, मुंबई में वड़ा पाव, दिल्ली में छोले-कुलचे, गया में तिलकुट-अनरसा, पटना के आसपास लिट्टी-चोखा, कोलकाता में रसगुल्ले, दावणगेरे में डोसा, मोल्कलमुरु में साड़ी, हासन में कॉफी और श्रीरंगपटना में चन्नापटना खिलौने खरीद सकेंगे।

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