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छत्तीसगढ़

रोजगार के लिए भटकने वाला अब दे रहा लोगों को रोजगार, रीपा के मदद से बना उद्यमी: कहानी सफलता की…

ग्रामीणों की दशा और दिशा बदलने में रीपा मील का पत्थर साबित हो रहा है। रीपा से युवाओं के सपनों को पंख मिले है। रीपा के चलते

बिलासपुर। ग्रामीणों की दशा और दिशा बदलने में रीपा मील का पत्थर साबित हो रहा है। रीपा से युवाओं के सपनों को पंख मिले है। रीपा के चलते धौरामुड़ा में विकास की बयार बह रही है। बिल्हा ब्लॉक के धौरमुड़ा ग्राम के निवासी हेमंत सिंह मरावी भी उन सफल युवा उद्यमियों में शामिल है, जिनकी इस योजना से जिंदगी ही बदल गई है। रीपा में शासन द्वारा दी गई बुनियादी सुविधाओं का लाभ लेकर उन्होंने विकास के रास्ते में अपने कदम बढ़ा दिये है। सरकार की मदद और अपने हौसले से नई उड़ान भरने हेमंत मरावी पूरी तरह से तैयार है।

मरावी ने बताया कि 12वीं की पढ़ाई पूरी होने के बाद घर की माली हालात ठीक न होने के कारण रोजगार के लिए नगरीय क्षेत्रों में पलायन करना पड़ता था लेकिन छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शुरू की गई महात्मा गांधी रुरल इंडस्ट्रियल पार्क रीपा की स्थापना से उन्हें एवं उनके जैसे अन्य कई युवाओं को अपने गांव में ही रोजगार का साधन मिल गया और उद्यमी बनने का सुनहरा अवसर मिला है। सीमेंट पोल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मरावी ने अपने गांव मे स्थापित महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) मे सीमेंट पोल निर्माण ईकाई की स्थापना करने की पहल की। यह उनके द्वारा उद्यमिता की और पहला कदम था जिसमें उन्हें शासन ने हर एक प्रकार से प्रोत्साहित किया।

आज हेमंत को इस ईकाई का संचालन करते हुए लगभग एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है। उनके द्वारा अब तक 75 हजार रूपए के निर्मित सीमेंट पोल का बिक्री की जा चुकी है। वर्तमान में उनके पास 1 लाख 20 हजार से ज्यादा का ऑर्डर भी है। हेमंत मरावी का कहना है कि कभी मैं रोजगार के लिए दर दर भटकता था लेकिन अब अपने साथ अन्य लोगों को भी रोजगार देने में सक्षम हुआ हूं। उनकी इस ईकाई मे 3 अन्य ग्रामीण भी कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि शासन की इस कल्याणकारी योजना ने मुझे मजदूर से सफल उद्यमी बना दिया है।

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