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टाइटैनिक देखने गई सबमरीन के 96 घंटे पूरे, जहरीले गैस से सभी यात्रियों के मारे जाने की आशंका…

कंपनी के दावे के मुताबिक उस पनडुब्बी में 4 दिनों तक रहने की हवा होती है। मगर विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि यह सामान्य परिस्थिति में संभव

टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने गई पनडुब्बी अटलांटिक महासागर में रविवार से लापता है। इस पनडुब्बी में पायलट समेत पांच लोग सवार हैं, जिनका अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है।

ओशनगेट एक्सप्लोरेशन कंपनी की इस टाइटन पनडुब्बी में सिर्फ 96 घंटे की ऑक्सीजन थी। उस समय की मियाद अब खत्म हो चुकी है। ऐसा माना जा रहा है कि अब तक पनडुब्बी की ऑक्सीजन खत्म हो गई होगी।

ओशनगेट में निवेश करने वाले इंवेस्टर ऑरोन न्यूमैन ने दावा किया था कि टाइटन पनडुब्बी को इस तरह से तैयार किया गया है कि वह खुद ही 24 घंटे बाद सतह पर वापस आ जाती है। लेकिन लगभग 4 दिन बीतने के बाद भी अब तक पनडुब्बी का कहीं अता-पता नहीं है।

कंपनी के दावे के मुताबिक उस पनडुब्बी में 4 दिनों तक रहने की हवा होती है। मगर विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि यह सामान्य परिस्थिति में संभव है। यदि उस पनडुब्बी में रहने वाले लोगों की तबीयत बिगड़ती है या वे किसी घबराहट में अनोखा कदम उठाते हैं तो ऑक्सीजन के घटने की रफ्तार और तेज हो सकती है।

इसके साथ ही एक्सपर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि सांस लेने योग्य हवा के संरक्षण के लिए उपाय किए जाएं तो इसे और बढ़ाया जा सकता है। इस बीच पूर्व रॉयल नेवी क्लीयरेंस गोताखोर रे सिंक्लेयर का मानना है कि जहाज टाइटैनिक के मलबे में फंसा हो सकता है।

वेबसाइट द मिरर के साथ बातचीत में उन्होंने अंदेशा जताया कि अब तक पनडुब्बी में सवार लोगों की कार्बन डाईऑक्साइड के जहरीले होने की वजह से पहले ही मौत हो गई होगी। रे किंस्कलेयर ने कहा कि पनडुब्बी की बैटरियों में CO2 स्क्रबर्स हैं, जो अगर खत्म हुए होंगे तो उनसे निकली जहरीली गैस से मौत हुई होगी।

डॉक्टर्स ये भी अनुमान लगा रहे हैं कि ऑक्सीजन खत्म होने के बाद संभवतः वे हाइपोथर्मिया का शिकार हो जाएं और होश खो बैठें। अगर ऐसा होता है तो वे अधिक समय तक जिंदा रह सकते हैं। लेकिन ऐसे हालात में भी वे ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह पाएंगे और उनके आंतरिक अंगों को काफी नुकसान पहुंचेगा।

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