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राजनीति

बिल्हा विधानसभा: हाईप्रोफाइल सीट में सियासी राजनीति गरमाई…दो कौशिक के बीच जोर आजमाइश…आप ने फिर उस पर दांव लगाया, जो पिछली बार जमानत तक नहीं बचा पाए थे…आप प्रत्याशी को निर्दलीय ने भी दे दी थी पटखनी…

प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक बिल्हा विधानसभा है। ये इसलिए हॉट सीट है, क्योंकि यहां से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक

बिलासपुर। प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक बिल्हा विधानसभा है। ये इसलिए हॉट सीट है, क्योंकि यहां से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक चुनाव लड़ रहे हैं। वे भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के अलावा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस ने सियाराम कौशिक पर एक बार फिर भरोसा जताया है। सियाराम ही धरमलाल कौशिक के रास्ते में रोड़ा अटकाते आए हैं। इधर, बात करें दिल्ली में इतिहास बनाने वाली आप पार्टी की तो हाईकमान ने एक बार फिर जसबीर सिंह चावला को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव के नतीजे पर गौर करें तो पता चलता है कि जसबीर सिंह उस समय अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे। जसबीर से अधिक एक निर्दलीय प्रत्याशी को अधिक वोट मिले थे।

बिल्हा विधानसभा की तासीर ही अलग है। यहां की जनता हर बार विधायक बदलती रही है। ये अलग बात है कि कमोबेश यहां जिस पार्टी का विधायक चुना जाता है, उन्हें विपक्ष में बैठना पड़ता है। इस बार यहां भाजपा, कांग्रेस, बसपा और आप पार्टी ने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। पिछली बार जोगी कांग्रेस और बसपा के बीच टाइअप होने के कारण सियाराम कौशिक जोगी कांग्रेस से चुनाव लड़े थे, जो तीसरे नंबर थे। इधर, आप पार्टी ने पुराना चेहरा जसबीर सिंह चावला पर भरोसा जताया है। पिछले चुनाव के नतीजे पर नजर डालें तो पता चलता है कि जसबीर सिंह को महज 4428 वोट ही मिले थे, जबकि उनसे अधिक 4518 वोट निर्दलीय प्रत्याशी मनोज ठाकुर को मिल गए थे। 2018 में मतदान से करीब 7 दिन पहले क्षेत्र में एक हवा चली थी। वह यह कि जसबीर सिंह चुनाव मैदान से हट गए हैं। दरअसल, मदान से सात दिन पहले जसबीर सिंह क्षेत्र से गायब हो गए थे। इस बार भी वही पुरानी चर्चा शुरू हो गई है। जनता कह रही है कि पिछली साल की तरह इस बार भी वही चाल तो नहीं चली जा रही है। जनता को तीसरी पार्टियों के प्रत्याशियों पर ज्यादा भरोसा नहीं है। वह इसलिए, क्योंकि जिस दमखम से भाजपा और कांग्रेस यहां चुनाव लड़ रही है, वह दमखम किसी और पार्टी में नजर नहीं आ रहा है। पब्लिक के मुताबिक हर विधानसभा की जनता चाहती है कि वह उस प्रत्याशी को चुनाव जिताकर विधानसभा भेजें, जिसकी सरकार बने, ताकि क्षेत्रीय समस्याओं को हल कराने में उनका जनप्रतिनिधि कामयाब हो सके।

राजनीतिक इतिहास

1962 से 1985 तक लगातार कांग्रेस के चित्रकांत जायसवाल ने यहां पर पार्टी का झंडा बुलंद किया, लेकिन 1990 में अशोक राव ने कांग्रेस से बगावत की और जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर यहां कांग्रेस के चित्रकांत जायसवाल को मात दी। हालांकि 1993 में अशोक राव दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए और बीजेपी के धरमलाल कौशिक को हराया। 1998 में पहली बार यहां से धरमलाल कौशिक ने बीजेपी का झंडा बुलंद किया, लेकिन 2003 में वे अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे। उन्हें कांग्रेस के सियाराम कौशिक ने मात दी।

2008 में धरमलाल कौशिक ने सियाराम कौशिक को फिर से मात दी। 2013 में एक बार फिर कांग्रेस ने सियाराम कौशिक पर भरोसा जताया और वो विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक को हराने में सफल हुए। इस चुनाव में बीजेपी को जहां 72,630 वोट मिले तो कांग्रेस को 83,598 वोट मिले। इस तरह जीत का अंतर 10,968 वोटों का रहा।

2018 के चुनाव में बदले समीकरण

2018 के चुनाव में फिर समीकरण बदले। कांग्रेस का दामन छोड़कर सियाराम कौशिक जोगी कांग्रेस से चुनाव मैदान में उतरे, जिसके जवाब में कांग्रेस ने राजेंद्र शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया। त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के धरमलाल कौशिक एक बार फिर कांग्रेस और जोगी कांग्रेस को शिकस्त देने में कामयाब हो गए। बीजेपी के धरमलाल कौशिक को 84,431 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस के राजेंद्र शुक्ला को 57,907 वोट मिले। पूर्व विधायक व जोगी कांग्रेस प्रत्याशी सियाराम कौशिक 29613 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे।

क्या हैं मुद्दे

बिल्हा विधानसभा के सियासी तासीर के साथ यहां कई ज्वलंत मुद्दे भी हैं। बिल्हा विधानसभा में पिछड़े आदिवासी गांव हैं तो चमचमाती सड़कों और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स वाले शहरी क्षेत्र भी यहां मौजूद हैं। यहां सिरगिट्टी, तिफरा जैसे औद्योगिक इलाके हैं तो यदुनंदन नगर से लेकर चकरभाठा तक कई बड़ी कॉलोनियां भी हैं। बिलासपुर नगर निगम के कुछ और वार्ड भी बिल्हा विधानसभा में आते हैं।

यहां बुनियादी समस्याओं के अलावा पेयजल, सिंचाई व्यवस्था और सरकारी योजनाओं का ठीक तरह से क्रियान्वयन नहीं होना व अवैध उत्खनन भी एक बड़ा मुद्दा है। इस क्षेत्र में ट्रेनों का स्टॉपेज न होना भी क्षेत्र के लोगों के लिए फिलहाल एक प्रमुख समस्या बना हुआ है। प्रदेश में अब तक भाजपा-कांग्रेस की सरकार रही है। 15 साल तक भाजपा ने प्रदेश में राज किया, तब धरमलाल कौशिक ने गांव-गांव की सड़कों को चकाचक कर दिया था।

जानिए कौन है धरमलाल कौशिक बिल्हा विधायक

धरमलाल कौशिक ने संगठन की राजनीति करते हुए अपनी राजनीति की शुरुआत की है। वे 1990-91 में महामंत्री भाजपा बिल्हा मंडल रहे हैं। 1992 में अध्यक्ष भाजपा बिल्हा मंडल रहे। 1994 में जिला अध्यक्ष भारतीय जनता युवा मोर्चा रहे। 1996-97 में महामंत्री भाजपा जिला बिलासपुर रहे है। 1998 में वे पहली बार बिल्हा विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए। फिर 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार विधायक के लिए निर्वाचित हुए। वे उपाध्यक्ष भाजपा जिला बिलासपुर भी रहे हैं।

वर्ष 2008 से 2013 के दौरान विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं। 2018 में धरम लाल कौशिक को विधायक दल का नेता चुना था। उनको विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की अहम भूमिका मिली थी।

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