रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासन में सुर्खियों में रहीं अधिकारी सौम्या चौरसिया को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए शर्तों के साथ जमानत प्रदान की है। चौरसिया, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की करीबी मानी जाती हैं और मुख्यमंत्री की उपसचिव के पद पर कार्यरत थीं, उन्हें दिसंबर 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोयला घोटाले और मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। हालांकि जमानत मिलने के बाद भी सौम्या चौरसिया निलंबित रहेंगी और उनकी प्रशासनिक सेवा पर फिलहाल रोक रहेगी।
छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले को लेकर हुए इस मामले में सौम्या चौरसिया की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया गया है। ईडी की जांच के अनुसार, कोयला घोटाले के किंगपिन सूर्यकांत तिवारी को चौरसिया का प्रशासनिक समर्थन प्राप्त था। चौरसिया पर आरोप है कि उन्होंने अपनी प्रशासनिक शक्तियों का दुरुपयोग कर तिवारी के लिए व्यवस्था बनाने में मदद की, जिससे उन्हें अवैध गतिविधियों में लाभ मिला। इस मामले में जबरन वसूली और मनी लांड्रिंग के तहत चौरसिया से पूछताछ की गई थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ़्तार किया गया।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चौरसिया को जमानत दे दी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे जल्द ही अपनी सेवा में वापस आ पाएंगी। जमानत के बाद भी वे निलंबित रहेंगी और प्रशासनिक पदों पर उनकी बहाली पर निर्णय राज्य सरकार द्वारा आगे के कानूनी प्रक्रियाओं के आधार पर लिया जाएगा। यह भी देखा जाना बाकी है कि ईडी की जांच में आने वाले समय में और क्या तथ्य उजागर होते हैं।
यह मामला छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा बन गया है। भूपेश बघेल की करीबी मानी जाने वाली सौम्या चौरसिया पर लगे आरोपों ने राज्य में प्रशासनिक भ्रष्टाचार की ओर सवाल खड़े किए हैं। विपक्षी दल इस मामले को लेकर लगातार सरकार पर हमला बोलते रहे हैं, इसे सरकार के प्रशासनिक ढांचे की विफलता के रूप में देख रहे हैं।
सौम्या चौरसिया को मिली जमानत छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले और मनी लांड्रिंग मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, लेकिन मामले की जटिलता और भविष्य की कानूनी कार्यवाही पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी। जमानत के बाद भी चौरसिया के प्रशासनिक भविष्य और राज्य की राजनीति पर इसके प्रभाव को लेकर कई सवाल अनुत्तरित हैं।