Friday, October 18, 2024
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आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव के चलते पति-पत्नी ने फांसी लगाकर की आत्महत्या: दीवार पर लिखा सुसाइड नोट, किया कारणों की ओर इशारा…

बिलासपुर जिले के रतनपुर थाना क्षेत्र के ग्राम लखराम में हाल ही में घटी एक अत्यंत दुखद घटना ने पूरे गांव और क्षेत्र को गहरे शोक और सदमे में डाल दिया। पति-पत्नी, परशराम देवांगन और उनकी पत्नी पार्वती देवांगन, जिन्होंने अपने जीवन की चुनौतियों से टूटकर एक सामाजिक भवन में आत्महत्या कर ली, इस घटना ने आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव की गंभीरता को उजागर किया है।

यह दुखद घटना लखराम के देवांगन समाज के भवन में घटित हुई, जहाँ पर दंपति ने दरवाजा बंद कर खुदकुशी कर ली। दोनों पति-पत्नी फांसी के फंदे पर लटके मिले, और घटनास्थल से एक दीवार पर लिखी सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें उन्होंने सतीश नामक व्यक्ति को अपने इस कठोर कदम के लिए जिम्मेदार ठहराया। सतीश, जो बुनकर समाज के अध्यक्ष थे, दंपति को काम के लिए धागा उपलब्ध कराते थे। हाल के दिनों में, सतीश द्वारा धागा और धनराशि मिलना बंद हो गया था, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई थी।

मृतक दंपति मूल रूप से रानीगांव के निवासी थे, लेकिन पारिवारिक कारणों से वे लखराम के सामाजिक भवन में रह रहे थे। परशराम और पार्वती बुनकर थे, और उनकी आजीविका पूरी तरह से बुनाई पर निर्भर थी। धागा और पैसे न मिलने के कारण उनका काम ठप हो गया, और यह स्थिति धीरे-धीरे उनके मानसिक और आर्थिक स्वास्थ्य को गहरे संकट में डालने लगी।

सुसाइड नोट में सतीश का जिक्र करना इस बात की ओर संकेत करता है कि सतीश द्वारा उन्हें काम के लिए जरूरी धागा और आर्थिक सहायता न मिलने से दंपति की आर्थिक तंगी और गहरा गई थी। हालांकि, आत्महत्या के पीछे केवल यही एकमात्र कारण नहीं हो सकता। पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि और कौन-कौन से कारक इस दुखद घटना के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

यह संभव है कि आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव ने मिलकर इस त्रासदी को जन्म दिया हो। ऐसे समय में जब किसी व्यक्ति की आजीविका छिन जाती है और परिवार की जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं, मानसिक दबाव असहनीय हो जाता है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे हमारे समाज में आर्थिक असुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता इस तरह की घटनाओं का कारण बन रही हैं।

इस घटना ने स्पष्ट रूप से यह दिखा दिया है कि आर्थिक तंगी और मानसिक स्वास्थ्य के बीच एक गहरा संबंध है। आर्थिक संकट के दौरान, जब एक व्यक्ति के पास अपने परिवार की बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए साधन नहीं होते, तो मानसिक तनाव और चिंता बढ़ जाती है। यह तनाव धीरे-धीरे व्यक्ति को आत्मघाती कदम उठाने की ओर धकेल सकता है।

बुनकर समाज में काम की निरंतरता अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। कपड़े बुनने के लिए जरूरी कच्चे माल, जैसे धागा, और धनराशि की अनुपलब्धता से दंपति गहरे आर्थिक संकट में घिर गए थे। यह घटना इस बात पर भी जोर डालती है कि समाज के ऐसे तबकों के लिए आर्थिक सहायता और सुरक्षा की व्यवस्था कितनी आवश्यक है।

इस त्रासदी के बाद, यह आवश्यक है कि सरकार और सामाजिक संस्थाएं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की मदद के लिए कदम उठाएं। आर्थिक सहायता के साथ-साथ, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता भी अत्यंत जरूरी है ताकि लोग मानसिक तनाव और निराशा से निपटने में सक्षम हो सकें।

आर्थिक सुरक्षा योजनाएं और रोजगार के साधन सुनिश्चित करना, खासकर बुनकर जैसे परंपरागत पेशों से जुड़े लोगों के लिए, समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए। साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की आसान उपलब्धता, काउंसलिंग, और सहायता केंद्रों की स्थापना से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

आने वाले समय में, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई और परिवार ऐसी असहनीय स्थिति में न पहुंचे और हर व्यक्ति को गरिमा के साथ जीने का अधिकार मिले।

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