छत्तीसगढ़

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ शासन द्वारा नगरपालिका के नवीन भवन निर्माण परियोजना में गड़बड़ी: तीन अधिकारी निलंबित…

बिलासपुर। रतनपुर नगरपालिका के नवीन कार्यालय भवन निर्माण में अनियमितताओं और प्रशासनिक लापरवाही के चलते छत्तीसगढ़ शासन ने कड़ा कदम उठाते हुए तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इस मामले की जड़ें उस ऑनलाइन टेंडर से जुड़ी हैं, जो बीते 6 फरवरी 2024 को 165.77 लाख रुपये की लागत से भवन निर्माण के लिए जारी किया गया था। शासन से प्राप्त आदेश के अनुसार, इस टेंडर प्रक्रिया में अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह निर्णय लिया गया है।

नवीन कार्यालय भवन निर्माण के लिए आमंत्रित निविदा को खोलने में अनावश्यक विलंब हुआ और निविदा समिति से समय पर अनुशंसा प्राप्त नहीं की जा सकी। इसके अलावा, पुनर्निविदा की प्रक्रिया में भी अनियमितताएं पाई गईं। इन कारणों से संभावित आर्थिक क्षति की स्थिति उत्पन्न हुई, जिससे शासन ने इसे गंभीरता से लिया और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की।

इस मामले में मुख्य आरोप उप अभियंता वैभव अग्रवाल पर लगा, जिन्हें छत्तीसगढ़ नगर पालिका कर्मचारी (भर्ती तथा सेवा शर्ते) नियम 1968 के नियम 53 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। उनके अलावा, रतनपुर के तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) हरदयाल रात्रे और लोक निर्माण विभाग में प्रभारी क्लर्क रहे अजित सिंह को भी निलंबित किया गया है। इन तीनों अधिकारियों को उनकी निलंबन अवधि में बिलासपुर स्थित संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात किया गया है।

यह कार्रवाई एक उदाहरण है कि कैसे शासन प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए सतर्क है। इस प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी प्रकार की अनियमितता या भ्रष्टाचार के मामले में शासन त्वरित और सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। न केवल निलंबन, बल्कि इन अधिकारियों को पुनः अन्यत्र तैनात करना यह दिखाता है कि शासन आर्थिक क्षति को रोकने के लिए कितनी गंभीर है।

रतनपुर नगरपालिका का यह मामला छत्तीसगढ़ शासन की पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह घटना शासन और प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय और समय पर निर्णय लेने की आवश्यकता को भी उजागर करती है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताओं और आर्थिक क्षति से बचा जा सके।

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