Tuesday, November 12, 2024
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हाई कोर्ट: सिंगल बेंच के नोटिस पर डिवीजन बेंच का स्टे, अधिकारियों पर जमीन अफरा-तफरी के आरोप पर अवमानना नोटिस हुआ था जारी…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के सिंगल बेंच द्वारा दिए गए दो महत्वपूर्ण फैसलों पर विवाद सामने आया, जिनमें एक अतिरिक्त तहसीलदार और वर्तमान में डिप्टी कलेक्टर के खिलाफ न्यायालयीन अवमानना का मामला था। सिंगल बेंच द्वारा जारी आदेश में दोनों अधिकारियों पर सरकारी जमीन की अफरा-तफरी के आरोपों के तहत न्यायालयीन अवमानना के नोटिस जारी किए गए थे। इसके साथ ही, एक सरपंच के खिलाफ भी नोटिस जारी किया गया था। इन फैसलों को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेशों पर आगामी सुनवाई तक रोक लगा दी है।

सिंगल बेंच का फैसला

मामले का प्रारंभ तब हुआ जब सिंगल बेंच ने सरपंच लक्ष्मी वैष्णव को न्यायालयीन अवमानना का दोषी मानते हुए उन्हें पद से हटाने का आदेश जारी किया। इसके साथ ही, अमरिका बाई अजगले को ग्राम पंचायत का कार्यवाहक सरपंच नियुक्त करने का निर्देश दिया गया। लक्ष्मी वैष्णव ने इस फैसले को चुनौती दी, जिसमें उन्होंने डिवीजन बेंच के समक्ष अपने अधिवक्ता के माध्यम से कहा कि उन्हें बहुमत से विधिवत सरपंच चुना गया था और वह अपने कार्य का निर्वहन कर रही थीं। उन्होंने तर्क दिया कि सिंगल बेंच का यह आदेश अवमानना अधिनियम के तहत पारित नहीं किया जा सकता था।

डिवीजन बेंच की प्रतिक्रिया

डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद सिंगल बेंच के आदेश को स्थगित करते हुए कहा कि विवादित आदेश में कुछ त्रुटियां पाई गई हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता, यानी लक्ष्मी वैष्णव, जनवरी 2024 से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही थीं। अतः, सिंगल बेंच द्वारा जारी आदेश को सुनवाई की अगली तारीख तक रोक दिया गया।

डिप्टी कलेक्टर जय शंकर उरांव का मामला

डिप्टी कलेक्टर जय शंकर उरांव के खिलाफ सिंगल बेंच ने सरकारी जमीन की हेरा-फेरी में उनके हाथ होने का संदेह जताते हुए नोटिस जारी किया था। हालांकि, उनके अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि जब विवादित आदेश पारित किया गया था, उस समय जय शंकर उरांव उस पद पर कार्यरत नहीं थे। इस तर्क के आधार पर डिवीजन बेंच ने 25 अक्टूबर 2024 को पारित आदेश के प्रभाव और संचालन पर भी आगामी सुनवाई तक रोक लगा दी।

मामला क्या है?

पौंसरा की 2.15 एकड़ जमीन के नामांतरण से जुड़ा यह विवाद 2013-14 में शुरू हुआ था, जब जमीन की खरीदी-बिक्री को लेकर विवाद हुआ। इस विवाद के बाद संबंधित जमीन का नामांतरण कर दिया गया, जिसमें तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार जय शंकर उरांव के हस्ताक्षर थे। इस पर पेखन लाल शेंडे ने जमीन के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपि के लिए तहसीलदार बिलासपुर के समक्ष आवेदन किया, लेकिन उन्हें दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर कोर्ट ने तहसीलदार को दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था, लेकिन फिर भी दस्तावेज नहीं मिले।

अवमानना की याचिका

न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के आरोप में पेखन लाल शेंडे ने एसडीएम बिलासपुर पीयूष तिवारी, तहसीलदार अतुल वैष्णव, और तहसीलदार मुकेश देवांगन के खिलाफ हाई कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की। राजस्व अफसरों ने याचिकाकर्ता को दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कोर्ट से मोहलत मांगी, लेकिन इसके बावजूद दस्तावेज नहीं दिए जा सके। इस संदर्भ में, डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की अगली सुनवाई तक निर्देश जारी किए हैं।

इस मामले में डिवीजन बेंच का निर्णय सिंगल बेंच के आदेशों की वैधता पर सवाल उठाता है। जहां एक तरफ सिंगल बेंच ने सख्त कदम उठाते हुए अवमानना नोटिस जारी किए थे, वहीं डिवीजन बेंच ने इसे त्रुटिपूर्ण पाया और इस पर रोक लगा दी। यह निर्णय दर्शाता है कि न्यायालयीन प्रक्रियाओं में भी कानूनी प्रक्रियाओं की सूक्ष्म जांच आवश्यक होती है, विशेष रूप से जब सवाल न्यायालयीन अवमानना जैसे गंभीर मुद्दे पर हो।

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