Thursday, December 12, 2024
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बिलासपुर: महाबोधि महाविहार का बौद्ध समुदाय को सौंपने की मांग: आल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम का कलेक्टर को ज्ञापन…

बिलासपुर। 26 नवंबर, संविधान दिवस के पावन अवसर पर, आल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम (AIBF) ने बिहार के बौद्धगया स्थित महाबोधि महाविहार के प्रबंधन को लेकर बौद्ध अनुयायियों की मांगों को प्रमुखता से उठाते हुए ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से संबंधित बौद्ध अनुयायियों और अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से राज्यपाल और मुख्यमंत्री को सौंपा गया। इसका मुख्य उद्देश्य महाबोधि महाविहार का संचालन बौद्ध समुदाय के हाथों में सौंपने की मांग को सशक्त करना था।

महाबोधि महाविहार: बौद्ध धर्म का पवित्र स्थल

महाबोधि महाविहार बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र स्थल है, जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। वर्तमान में महाबोधि महाविहार का संचालन और प्रबंधन बौद्ध समुदाय के नियंत्रण में नहीं है, बल्कि इसे 1949 के बोधगया मन्दिर अधिनियम के तहत गैर-बौद्ध सदस्यों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इस अधिनियम के तहत महाविहार के प्रशासन में बौद्ध समुदाय की भूमिका सीमित कर दी गई है, जो लंबे समय से बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

AIBF की प्रमुख मांगें

बिलासपुर में बौद्ध अनुयायियों द्वारा दिए गए ज्ञापन में प्रमुखता से 1949 के बोधगया मन्दिर अधिनियम को निरस्त करने की मांग की गई है। AIBF का तर्क है कि यह अधिनियम बौद्ध धर्म के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत महाबोधि महाविहार का प्रबंधन गैर-बौद्ध अधिकारों के नियंत्रण में है, जो बौद्ध अनुयायियों के लिए अस्वीकार्य है। AIBF का मानना है कि यह अधिनियम बौद्ध धार्मिक स्थलों पर लंबे समय से चले आ रहे गैर-बौद्ध हस्तक्षेप और दमन का प्रतीक है।

AIBF की दूसरी महत्वपूर्ण मांग यह है कि एक नई स्वायत्त संस्था, “महाबोधि महाविहार चैत्य ट्रस्ट,” का गठन किया जाए, जिसका संचालन और प्रबंधन पूरी तरह से बौद्ध अनुयायियों द्वारा किया जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि महाविहार का प्रबंधन बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक मूल्यों और सिद्धांतों के अनुरूप हो।

शांति रैली और ज्ञापन सौंपने का उद्देश्य

संविधान दिवस के अवसर पर बिलासपुर में बौद्ध अनुयायियों ने बाबा साहेब की प्रतिमा से एक शांति रैली निकाली, जिसके माध्यम से उन्होंने अपने विरोध और मांगों को व्यक्त किया। इस रैली के माध्यम से बौद्ध समुदाय ने शांतिपूर्ण तरीके से यह संदेश दिया कि महाबोधि महाविहार को बौद्ध अनुयायियों को सौंपा जाना चाहिए, ताकि वे अपने धार्मिक स्थलों का प्रबंधन अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार कर सकें। ज्ञापन सौंपने वाले प्रमुख लोगों में सुजात वाहने, चेतना तम्हाने, अनामिक पाटिल, ललिता वाहने, प्रकृति बौद्ध, अनिता लव्हात्रे, वंदना भान्गे्, प्रतिमा सहारे, कांता मेश्राम, सरिता कामडें, कल्पना शिंदे, संजु उके, अनिता खोबरागड़े, उषा वाहने, सरला रामटेके, किरण महाजन, उजाला चंद्रिकापुरे, रश्मि नागदौन, शारदा रामटेके, अनिता मेश्राम, लक्ष्मी वैद्य, सुचिता वाघमरे, सत्या उके, संघमित्रा बौद्ध, राजेश हूमने, कमलेश लव्हात्रे, प्रफुल्ल गेडाम, दिलीप मेश्राम, मधुकर वासनिक, सुबोध रंगारि, अशोक वाहने, हरीश वाहने, देवेंद्र मोटघरे, शीतल रामटेके, विनोद बौद्ध, लोकेश पूजा बौद्ध अनुयायी शामिल थे।

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