बिलासपुर जिले के तिफरा सब्जी मंडी में व्यवसायी धीरज कछवाहा और उनके परिवार पर जानलेवा हमले के बाद भी, आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। दो महीने पहले सब्जी व्यापारी रामकुमार साहू और उनके साथियों ने धीरज कछवाहा के पिता दिनेश प्रसाद कछवाहा और भाई विकास कछवाहा पर गंभीर हमला किया था, जिसमें लोहे की रॉड से किए गए प्रहार में दिनेश प्रसाद कछवाहा के सिर पर गंभीर चोटें आई थीं। इस हिंसक हमले के बाद पीड़ितों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज अब तक जारी है। चिकित्सकों ने रिपोर्ट में साफ किया है कि सिर पर लगी चोट गंभीर है और इलाज में लंबा समय लगेगा।
इस मामले में, पुलिस द्वारा अपराधियों के खिलाफ किसी भी तरह की सख्त कार्रवाई न होने से पीड़ित परिवार नाराज और हताश है। सिरगिट्टी थाना पुलिस पर आरोप है कि उन्होंने इस केस की गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए जांच में निष्क्रियता दिखाई। पीड़ित परिवार ने नगर पुलिस अधीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
हमले के बाद, व्यापारिक दुश्मनी और साजिश के तहत पीड़ित व्यवसायी धीरज कछवाहा पर आर्थिक और मानसिक दबाव डालने के लिए सब्जी मंडी संघ के अध्यक्ष मुकश अधीजा ने पांच दिन तक दुकान बंद रखने का अवैध आदेश जारी किया। यह कदम संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जो नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा करता है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि मुकेश अधीजा द्वारा पहले भी इसी प्रकार की गैरकानूनी कार्रवाई की जाती रही है ताकि अन्य व्यापारियों पर दबाव बनाया जा सके।
पुलिस की निष्क्रियता का फायदा उठाकर आरोपी अब खुलेआम घूम रहे हैं और पीड़ित परिवार पर केस वापस लेने के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं। राजनीतिक और व्यापारिक दबावों के चलते, आरोपियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे पीड़ितों को धमकी देने से भी नहीं चूक रहे। पीड़ित परिवार का कहना है कि पुलिस की लापरवाही से उनका विश्वास कानून व्यवस्था से उठ गया है।
आखिरकार, पीड़ितों ने पुलिस महानिरीक्षक से मिलकर न्याय की गुहार लगाई है, और अगर जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है, तो उन्होंने आमरण अनशन पर जाने की चेतावनी दी है। पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर पीड़ितों ने कार्रवाई की मांग की है, लेकिन सिरगिट्टी थाना पुलिस के रवैये से पीड़ित परिवार बेहद असंतुष्ट है।
सिरगिट्टी थाना के विवेचना अधिकारी विजय शर्मा पर भी गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने फरियादी के कई बार आवेदन देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की, और गोपनीय जानकारी आरोपियों तक पहुंचाने में मदद की। इस कारण से आरोपी बिना किसी डर के खुलेआम घूम रहे हैं। पीड़ितों का यह भी कहना है कि आरोपियों द्वारा लगातार धमकियां दी जा रही हैं, जिससे उनके परिवार की सुरक्षा खतरे में है।
इस पूरी घटना ने पुलिस प्रशासन की भूमिका पर एक बड़ा सवाल खड़ा किया है। न्याय की मांग करते हुए, पीड़ितों ने आमरण अनशन की चेतावनी दी है, जिससे प्रशासन पर दबाव बढ़ता जा रहा है। यह मामला न केवल कानून व्यवस्था की विफलता को उजागर करता है, बल्कि पुलिस के संदिग्ध रवैये पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। पीड़ित परिवार अब न्याय के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है।
यह मामला पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता, न्याय में देरी और पीड़ित परिवार की बेबसी को दर्शाता है। अपराधियों की गिरफ्तारी न होने से पीड़ित परिवार की चिंता बढ़ रही है, और अब वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए आमरण अनशन की धमकी दे रहे हैं।