बिलासपुर। प्राकृतिक संसाधनों और जल स्रोतों की सुरक्षा के प्रति बिलासपुर प्रशासन ने एक मजबूत कदम उठाते हुए एक मिसाल पेश की है। कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर, एसडीएम पीयूष तिवारी ने तालाबों के अवैध कब्जे और उनके स्वरूप परिवर्तन पर बड़ी कार्यवाही की। इस कार्रवाई के तहत ग्राम कोनी में एक तालाब को पाटकर खेत बनाने वाले अनावेदकों पर ₹25,000 का जुर्माना लगाया गया और तालाब को पुनः उसके मूल स्वरूप में लाने का आदेश जारी किया गया।
जांच और कार्यवाही का क्रम
कलेक्टर अवनीश शरण ने नगर निगम क्षेत्र के तालाबों की स्थिति का जायजा लेने के लिए एसडीएम को निर्देशित किया था। जांच में ग्राम कोनी के खसरा नंबर 126 पर स्थित 0.299 हेक्टेयर जमीन, जो राजस्व रिकॉर्ड में “तालाब” के रूप में दर्ज थी, को अवैध रूप से खेत में बदलने का मामला सामने आया। तहसीलदार की रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि व्यासनारायण पाण्डेय और सुरेंद्र पाण्डेय ने तालाब को पाटकर खेत बनाया था।
छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता, 1959 के अनुसार, तालाब और पानी के ऊपर की जमीन का स्वरूप बदलना न केवल अवैध है, बल्कि यह सामूहिक निस्तार की आवश्यकता को बाधित करता है। एसडीएम ने भू राजस्व संहिता की धारा 242 और 253 के तहत मामला दर्ज कर अनावेदकों से जवाब मांगा। अनावेदकों ने तालाब पाटने की बात स्वीकार की, लेकिन संतोषजनक जवाब देने में असमर्थ रहे।
प्रशासन का निर्णय और संदेश
एसडीएम ने अनावेदकों पर ₹25,000 का जुर्माना लगाया और आदेश दिया कि 7 दिनों के भीतर तालाब को उसके मूल स्वरूप में लाया जाए। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि अगर ऐसा नहीं किया गया, तो कठोर प्रशासनिक कार्यवाही की जाएगी।
इस कार्रवाई से स्पष्ट संदेश गया है कि बिलासपुर प्रशासन पर्यावरण संरक्षण के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह कदम न केवल प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि ऐसे अवैध कार्यों में शामिल लोगों के लिए एक चेतावनी भी साबित होगा।
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: समय की मांग
तालाब जैसे पारंपरिक जल स्रोत ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए जल आपूर्ति का महत्वपूर्ण साधन हैं। इन्हें संरक्षित करना न केवल पर्यावरण के लिए जरूरी है, बल्कि सामूहिक निस्तार और कृषि पर भी इनका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बिलासपुर प्रशासन की यह पहल न केवल कानूनी प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि जब प्रशासनिक इच्छाशक्ति हो, तो प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण संभव है।
बिलासपुर प्रशासन की यह कार्यवाही एक मिसाल है कि कानून और पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रशासन कितना सजग है। यह कदम अन्य जिलों के लिए प्रेरणा बनेगा और प्राकृतिक जल स्रोतों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।