बिलासपुर, 27 दिसंबर 2024। खनिज विभाग, बिलासपुर ने अवैध खनन गतिविधियों के विरुद्ध अपने प्रयासों को और सशक्त बनाते हुए चालू वित्तीय वर्ष के पहले नौ महीनों में 503 प्रकरण दर्ज कर 1.85 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला है। यह कदम न केवल अवैध खनन पर अंकुश लगाने में सहायक सिद्ध हो रहा है, बल्कि शासन की सुशासन की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करता है।
विभाग द्वारा किए गए अभियानों में सबसे ज्यादा 404 प्रकरण अवैध खनिज परिवहन से जुड़े हुए हैं, जिनसे 84.31 लाख रुपये की वसूली की गई है। इसके अलावा, अवैध खनन, भंडारण और खदान संचालन के नियमों के उल्लंघन के मामले भी सामने आए हैं:
– अवैध खनन: 57 प्रकरण दर्ज, 29.74 लाख रुपये का जुर्माना वसूल।
– अवैध भंडारण: 15 प्रकरण, 7.50 लाख रुपये जुर्माना।
– भंडारण लाइसेंस उल्लंघन: 14 मामलों में कार्रवाई, जिनमें 8 लाइसेंस रद्द किए गए और 4 लाख रुपये जब्त किए गए।
– खनन संचालन नियम उल्लंघन: 13 प्रकरण दर्ज, 12 से 51 लाख रुपये की वसूली।
खनिज प्रशासन के उप संचालक, डॉ. दिनेश मिश्रा ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष के लिए जिले को खनिज राजस्व के रूप में 40 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया गया था। अब तक नौ महीनों में 79 प्रतिशत लक्ष्य की पूर्ति हो चुकी है, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि निर्धारित समय से पहले यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा।
विभाग की यह कार्रवाई न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अवैध खनन गतिविधियों पर नियंत्रण स्थापित करने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में भी सराहनीय पहल है। लाइसेंस धारकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और अवैध भंडारण पर अंकुश लगाकर विभाग ने एक कड़ा संदेश दिया है कि अवैध गतिविधियों के लिए कोई स्थान नहीं है।
अवैध खनन गतिविधियां न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और स्थानीय समुदायों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। खनिज विभाग द्वारा की गई इस सख्त कार्रवाई से न केवल सरकारी खजाने को भरपूर राजस्व प्राप्त हुआ है, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से भी यह एक सकारात्मक पहल है।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि विभाग आने वाले महीनों में अपने अभियानों को और तेज करेगा। विभाग का लक्ष्य न केवल निर्धारित राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि अवैध खनन गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके।
खनिज विभाग, बिलासपुर की यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि यदि प्रशासनिक इच्छाशक्ति और सही रणनीतियां अपनाई जाएं, तो अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाना संभव है। यह पहल अन्य जिलों और राज्यों के लिए एक उदाहरण है, जो सुशासन और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा दे सकता है