बिलासपुर। पुलिस की सतर्कता और निरंतर प्रयासों के चलते 20 वर्षों से अधिक समय से ड्रग तस्करी में लिप्त अंतरराज्यीय अपराधी संजीव सिंह उर्फ सुच्चा सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। इस कार्रवाई ने न केवल एक बड़े ड्रग नेटवर्क का पर्दाफाश किया, बल्कि नशीली दवाओं के अवैध व्यापार से जुड़े कई महत्वपूर्ण कड़ियों को भी उजागर किया।
संजीव सिंह, जो मूल रूप से बिलासपुर जिले के टिकरापारा इलाके का निवासी है, 2005 से नशीली दवाओं की तस्करी में संलिप्त था। प्रारंभ में वह स्थानीय स्तर पर तस्करी करता था, लेकिन धीरे-धीरे उसने अपना नेटवर्क बढ़ाकर नागपुर, दिल्ली और जबलपुर जैसे शहरों तक फैला लिया। पुलिस के मुताबिक, उसने इस अवैध व्यापार से भारी मुनाफा कमाया और विभिन्न जगहों पर संपत्तियां अर्जित कीं।
जांच में पता चला कि संजीव ने नागपुर के मोदा में चार दुकानें और जमीन खरीदी, दिल्ली के फरीदाबाद में जमीन का इकरारनामा किया, और जबलपुर के परसवाड़ा में तीन जमीनें रजिस्ट्री कराईं। उसने अवैध कमाई को शेयर बाजार में भी निवेश करना शुरू कर दिया था। आरोपी ने पुलिस के बढ़ते दबाव के कारण 2014 में बिलासपुर छोड़ दिया था। नागपुर में उसने अपना ठिकाना बनाया, लेकिन वहां भी पुलिस की सक्रियता के चलते वह जबलपुर में बस गया। वहां उसने “छाबड़ा कंस्ट्रक्शन” के नाम से एक निर्माण व्यवसाय शुरू किया, जिससे उसकी आपराधिक गतिविधियों पर पर्दा डाल सके।
सरकंडा और सिविल लाइन्स थाने में दर्ज मामलों के तहत संजीव सिंह की लंबे समय से तलाश जारी थी। आरोपी के मोबाइल और वित्तीय लेन-देन की जांच के दौरान, जबलपुर के परसवाड़ा में उसके ठिकाने का पता चला।
पुलिस अधीक्षक निमितेश सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया, जिसमें उप-निरीक्षक अवधेश सिंह, अजरुद्दीन, और अन्य कर्मी शामिल थे। तकनीकी साक्ष्य और स्थानीय जानकारी के आधार पर पुलिस टीम ने आरोपी को जबलपुर में धर दबोचा।
पुलिस पूछताछ में संजीव सिंह ने स्वीकार किया कि वह पिछले दो दशकों से नशीली दवाओं की तस्करी कर रहा था। उसने पप्पू श्रीवास और आकांक्षा गहेरवार जैसे स्थानीय अपराधियों के माध्यम से शहर में नशीली दवाओं की आपूर्ति की। यह अवैध गतिविधि उसके जीवनयापन और संपत्ति अर्जित करने का मुख्य जरिया बन गई थी।
इस सफल कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक निमितेश सिंह ने पूरी टीम की सराहना की और उन्हें उचित इनाम देने की घोषणा की। इस गिरफ्तारी ने न केवल शहर को एक बड़े ड्रग नेटवर्क से मुक्त किया है, बल्कि यह भी साबित किया कि पुलिस की मुस्तैदी और तकनीकी जांच किसी भी अपराधी को बचने का मौका नहीं देती।
संजीव सिंह जैसे अपराधियों का पकड़ा जाना इस बात का प्रमाण है कि नशे के कारोबार का अंत संभव है। पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल कानून के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ाया है, बल्कि युवाओं को नशे से दूर रहने की भी प्रेरणा दी है।