Wednesday, March 26, 2025
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बिलासपुर: रेलवे इंजन व्हील्स ड्रिलिंग मामले में हाईकोर्ट की सुनवाई, याचिका किया खारिज, समिति गठित कर जांच के दिए निर्देश…

बिलासपुर। रेलवे इंजन के पहियों पर ड्रिलिंग कर दुर्घटनाओं की आशंका को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति रविन्द्र अग्रवाल की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए रेलवे के पक्ष को सुना और उचित कार्रवाई के निर्देश दिए। इस दौरान रेलवे ने स्पष्ट किया कि इंजन के पहियों पर किसी भी तरह की अवैध ड्रिलिंग नहीं की जा रही है।

रायगढ़ रेलवे ऑपरेशनल विभाग में कार्यरत कर्मचारी अमोश नाग ने 13 जनवरी 2025 को हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि रेलवे के अधिकारी अवैध तरीकों से कार्य कर रहे हैं, जिससे संभावित दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि इंजन के व्हील्स पर ड्रिलिंग की जा रही है, जबकि रेलवे के पास पर्याप्त नए एक्सल उपलब्ध हैं। अमोश नाग ने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया रेलवे डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा प्रतिबंधित है, और अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग भी समय पर नहीं की जा रही है। उन्होंने इस गतिविधि को कुछ अधिकारियों के आर्थिक लाभ से जोड़कर देखा।

सुनवाई के दौरान रेलवे का पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार के अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि रेलवे में इस प्रकार की कोई भी अवैध गतिविधि नहीं हो रही है। इसके अलावा, रेलवे ने इस मामले की जांच के लिए डिविजनल रेलवे मैनेजर (DRM) के निर्देश पर दो सदस्यीय समिति गठित की है। इस समिति में डिविजनल सेफ्टी ऑफिसर सौरभ दवाक और डिविजनल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर अमित गुप्ता को शामिल किया गया है, जो जल्द ही अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

हाईकोर्ट की बेंच ने रेलवे प्रशासन को निगरानी रखने और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता अमोश नाग की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई और केंद्र सरकार के वकील को उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए। हालांकि, रेलवे कर्मचारी होने और अन्य कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

हालांकि याचिका खारिज होने के बावजूद, कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित से जुड़ा विषय माना और रेलवे को सुरक्षा व मानकों का सख्ती से पालन करने की हिदायत दी।

इस पूरे मामले में रेलवे की ओर से दी गई सफाई के बाद हाईकोर्ट ने रेलवे की कार्यशैली पर कोई संदेह नहीं जताया, लेकिन सतर्कता बरतने की सलाह दी। इस मामले की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि याचिकाकर्ता के आरोपों में कितनी सच्चाई थी। फिलहाल, कोर्ट के निर्देश के बाद रेलवे इस विषय पर निगरानी बनाए रखेगा और सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करेगा।

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