Friday, April 18, 2025
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि शहीद दिवस पर बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय में श्रद्धांजलि सभा…

बिलासपुर। बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर (छ.ग.) में 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि ‘शहीद दिवस’ के रूप में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। इस अवसर पर महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एन.के. चौरे सहित प्राध्यापकगण, कर्मचारी और छात्र-छात्राओं ने महात्मा गांधी की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित की।

गांधीजी को किया गया नमन

कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण से हुई, जिसमें महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एन.के. चौरे ने श्रद्धा-सुमन अर्पित कर उनके विचारों को स्मरण किया। इस अवसर पर उपस्थित सभी जनों ने सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के बताए मार्ग पर चलने की प्रेरणा ली।

शहीदों के सम्मान में 2 मिनट का मौन

प्रातः 11:00 बजे महाविद्यालय परिसर में मौजूद सभी प्राध्यापक, कर्मचारी और छात्र-छात्राओं ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीदों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने हेतु 2 मिनट का मौन रखा। यह क्षण राष्ट्र के लिए बलिदान देने वाले महानायकों की याद को समर्पित था।

गांधीजी के विचारों की प्रासंगिकता

इस अवसर पर वक्ताओं ने महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा, स्वराज और आत्मनिर्भरता जैसे विचारों की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में गांधीजी के सिद्धांतों को अपनाना पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है। कार्यक्रम में विशेष रूप से युवाओं को गांधीजी की शिक्षाओं को आत्मसात करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का संदेश दिया गया।

देशभक्ति और प्रेरणा का संकल्प

इस श्रद्धांजलि सभा में शामिल सभी लोगों ने देश की एकता, अखंडता और शांति बनाए रखने का संकल्प लिया। महाविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने गांधीजी के जीवन से प्रेरणा लेते हुए अपने आचरण में उनके आदर्शों को अपनाने की प्रतिबद्धता जताई।

‘शहीद दिवस’ केवल एक स्मरण दिवस नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्यों की पुनःस्मृति का दिन है। बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय में आयोजित यह श्रद्धांजलि सभा न केवल अतीत की महान विभूतियों को नमन करने का अवसर बनी, बल्कि सत्य, अहिंसा और मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी पुनः जागृत करने का संदेश दे गई।

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