बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षण को शून्य कर दिए जाने के फैसले ने राज्य में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। छत्तीसगढिय़ा सर्व समाज महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश यदु ने सरकार के इस निर्णय को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा है कि इसे लेकर राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। बिलासपुर में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने सरकार पर पिछड़ा वर्ग की उपेक्षा करने का आरोप लगाया और कहा कि यह पहली बार हुआ है जब किसी सरकार ने OBC के आरक्षण को पूरी तरह समाप्त कर दिया है।
आरक्षण में कटौती से नाराजगी
छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने इस वर्ग को आरक्षण का लाभ देने से इंकार कर दिया है। नगर पालिका, नगर पंचायतों और विधानसभा में भी OBC वर्ग के लिए आरक्षण को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया। हाईकोर्ट द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के बावजूद सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।
रमेश यदु ने कहा कि वनांचल बस्तर और सरगुजा जैसे क्षेत्रों में OBC की जनसंख्या लगभग 54 प्रतिशत है, फिर भी सरकार इस वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नीतियां पिछड़ा वर्ग विरोधी हैं और सरकार के मंत्री तथा विधायक भी इस मुद्दे पर मौन साधे हुए हैं, क्योंकि वे पार्टी अनुशासन से बंधे हैं।
आंदोलन की तैयारी
छत्तीसगढिय़ा सर्व समाज महासंघ ने ऐलान किया है कि वह इस मुद्दे को लेकर पूरे राज्य में आंदोलन करेगा। जन-जन तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए विभिन्न जिलों में प्रदर्शन और सभाओं का आयोजन किया जाएगा। समाज को जोड़ने का कार्य करने वाले OBC वर्ग के साथ सरकार ने अन्याय किया है, जबकि संविधान की पांचवीं अनुसूची में इस वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था दी गई है।
रमेश यदु ने स्पष्ट किया कि अगर सरकार जल्द से जल्द OBC आरक्षण को पुनः लागू नहीं करती है, तो महासंघ हर स्तर पर संघर्ष के लिए तैयार है। उन्होंने बीजेपी की बिलासपुर महापौर प्रत्याशी एल. पद्मजा को लेकर भी आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि पार्टी ने छत्तीसगढ़ी OBC की उपेक्षा करते हुए जातिगत रूप से विवादित प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा है।
राजनीतिक दलों की चुप्पी पर सवाल
OBC आरक्षण के मुद्दे पर राज्य के राजनीतिक दलों का रवैया भी सवालों के घेरे में है। रमेश यदु ने कहा कि इस वर्ग के विधायक और मंत्री भी इस मुद्दे पर चुप हैं और पार्टी अनुशासन के कारण खुलकर सरकार की नीतियों का विरोध नहीं कर रहे हैं। इससे आम जनता में गहरी नाराजगी है।