Monday, September 8, 2025
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बिलासपुर के सेंट विसेंट पलोटी स्कूल में धमाका: 10 वर्षीय छात्रा बुरी तरह झुलसी, अस्पताल में भर्ती, सुरक्षा पर फिर उठे सवाल…

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्थित सेंट विसेंट पलोटी स्कूल में हुए धमाके ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। यह हादसा मंगला रोड पर स्थित इस निजी स्कूल में सुबह सवा 10 बजे के करीब हुआ, जब कक्षा 4 की एक छात्रा बाथरूम गई थी। धमाके के कारण 10 वर्षीय छात्रा बुरी तरह झुलस गई, जिसे तत्काल पास के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस घटना ने एक बार फिर निजी स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना का विवरण बताया जा रहा है कि स्कूल में परीक्षा चल रही थी, और इसी दौरान कक्षा 4 की छात्रा बाथरूम गई थी। जैसे ही उसने फ्लश दबाया, एक जोरदार धमाका हुआ। धमाके की आवाज सुनकर स्कूल में अफरा-तफरी मच गई। जब स्कूल के शिक्षक और स्टाफ मौके पर पहुंचे, तो उन्होंने छात्रा को फर्श पर गिरा हुआ पाया। इस धमाके में छात्रा के पैर, पीठ और बाल झुलस गए। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।

संभावित कारण और जांच मौके से सिल्वर पैकिंग का एक चिथड़ा बरामद हुआ है, जिससे संदेह जताया जा रहा है कि विस्फोटक सामग्री इसमें रखी गई थी। प्रारंभिक जांच के अनुसार, संभावना जताई जा रही है कि किसी ने लैब से प्रयोग में उपयोग होने वाला सोडियम या अन्य कोई रासायनिक पदार्थ बाथरूम में रखा था, जिससे यह हादसा हुआ। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह घटना किसी साजिश का हिस्सा थी या फिर किसी छात्र की शरारत। पुलिस और प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।

निजी स्कूलों में सुरक्षा पर उठते सवाल यह घटना निजी स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है, लेकिन इस तरह की घटनाएं दर्शाती हैं कि सुरक्षा मानकों में कहीं न कहीं बड़ी चूक हो रही है। क्या स्कूलों में प्रयोगशालाओं की सुरक्षा पर्याप्त है? क्या छात्रों को खतरनाक पदार्थों से दूर रखने के लिए पर्याप्त निगरानी की जाती है?

बिलासपुर के इस निजी स्कूल में हुए हादसे से यह स्पष्ट होता है कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। प्रशासन को चाहिए कि वे इस मामले की गहन जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। साथ ही, स्कूलों को भी अपने सुरक्षा मानकों को और अधिक मजबूत बनाना चाहिए, ताकि अभिभावकों को अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता न करनी पड़े।

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