शिक्षा को मानव जीवन का आधार माना जाता है, लेकिन जब इसकी पवित्रता पर फर्जीवाड़े की मार पड़ती है, तो पूरा सिस्टम कटघरे में खड़ा हो जाता है। हाल ही में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जहां एक युवक ने अपने जीजा की जगह परीक्षा देने की कोशिश की। यह घटना बॉलीवुड फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस की याद दिलाती है, जिसमें नायक फर्जी तरीके से परीक्षा पास करने की कोशिश करता है। लेकिन फिल्मों की तरह असल जिंदगी में यह मजाक नहीं, बल्कि एक अपराध है।
यह घटना पुसौर के झलमला स्थित शासकीय स्कूल में हुई, जहां ओपन स्कूल की दसवीं की परीक्षा चल रही थी। परीक्षा हॉल में बैठे अमन सारथी की हरकतें पर्यवेक्षकों को संदिग्ध लगीं। जब उसकी जांच की गई, तो पता चला कि वह जिस प्रवेश पत्र के आधार पर परीक्षा दे रहा था, वह पूरी तरह से फर्जी था।
संदेह बढ़ने पर पुलिस को बुलाया गया, जिसने तुरंत कार्रवाई करते हुए अमन को हिरासत में ले लिया। जब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की, तो उसने कबूल किया कि वह असल में अपने जीजा यादराम सारथी के स्थान पर परीक्षा देने आया था। इस खुलासे के बाद पुलिस ने यादराम को भी धरमजयगढ़ से गिरफ्तार कर लिया।
फर्जीवाड़े का बड़ा खेल!
इस घटना ने एक बार फिर परीक्षा प्रणाली की खामियों को उजागर कर दिया है। यह पहली बार नहीं है जब किसी ने परीक्षा में धोखाधड़ी करके सफलता पाने की कोशिश की हो। ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या यह संकेत देती है कि परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है।
बड़ा सवाल यह भी है कि क्या यह सिर्फ एक मामला है, या फिर इस तरह के फर्जीवाड़े का कोई बड़ा नेटवर्क सक्रिय है? कई बार परीक्षा माफिया पैसे लेकर ऐसे नकली परीक्षार्थियों को बैठाने की साजिश रचते हैं। यदि इस पर सख्ती नहीं बरती गई, तो शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।
सजा से सीख या फिर दोहराया जाएगा अपराध?
इस मामले में पुलिस ने फौरन कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इतनी सजा पर्याप्त है? क्या यह भविष्य में होने वाले ऐसे अपराधों को रोकने के लिए एक सबक बनेगा?
अगर शिक्षा प्रणाली को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है, तो हमें कुछ कड़े कदम उठाने होंगे:
- सख्त पहचान सत्यापन प्रणाली: परीक्षा केंद्रों पर बायोमेट्रिक सत्यापन को अनिवार्य किया जाए, जिससे कोई भी व्यक्ति दूसरे के स्थान पर परीक्षा न दे सके।
- सुरक्षा कैमरों की निगरानी: हर परीक्षा हॉल में कैमरे लगाए जाएं ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके।
- कानूनी कार्रवाई को प्रभावी बनाना: परीक्षा में धोखाधड़ी करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया जाए ताकि दूसरे लोग ऐसा करने से पहले सौ बार सोचें।
शिक्षा प्रणाली में सुधार: छात्रों को स्किल-बेस्ड लर्निंग से जोड़ना जरूरी है, ताकि वे नकल या फर्जीवाड़े का सहारा लेने की बजाय अपनी मेहनत से आगे बढ़ें।