
बिलासपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आईजीकेवी) परिसर सोमवार को कर्मचारियों के गगनभेदी नारों और प्रदर्शन से गूंज उठा। विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के अधिकारी और कर्मचारी अपने संवैधानिक अधिकारों और सेवा संबंधी मांगों को लेकर तकनीकी कर्मचारी संघ (टीएसए) के नेतृत्व में सड़क पर उतर आए। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया और कुलपति को सात सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।
घंटों पैदल मार्च कर जताया आक्रोश
प्रदर्शनकारियों ने प्रशासनिक भवन तक पैदल मार्च करते हुए “कंट्रोलर हटाओ, आईजीकेवी बचाओ”, “हक़ चाहिए, भीख नहीं” जैसे नारों से माहौल को आंदोलित कर दिया। इस बीच उन्होंने कुलपति कार्यालय का घेराव कर जमकर नारेबाजी की और विरोध दर्ज कराया। कई अधिकारी और कर्मचारी भूखे-प्यासे घंटों कुलपति के कक्ष के बाहर बैठे रहे।
संविधान प्रदत्त अधिकारों की बहाली की मांग
संघ के अध्यक्ष डॉ. पी. के. सांगोड़े ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार केवीके कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी कर रहा है। “हमने वर्षों तक ज्ञापन और संवाद के जरिए समाधान की कोशिश की, लेकिन हमें केवल आश्वासन ही मिले,” उन्होंने कहा।
उपाध्यक्ष डॉ. ईश्वरी साहू ने कहा, “यह आंदोलन केवल सुविधाओं के लिए नहीं, बल्कि हमारे संवैधानिक अधिकारों की पुनः स्थापना के लिए है।” वहीं, डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ने विश्वविद्यालय अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि तकनीकी स्टाफ की सेवा-निवृत्ति आयु 65 वर्ष और गैर-तकनीकी के लिए 62 वर्ष निर्धारित है, जबकि केवीके कर्मचारियों को 60 वर्ष में जबरन सेवानिवृत्त किया जा रहा है, जो न केवल अवैधानिक बल्कि भेदभावपूर्ण भी है।
प्रदर्शनकारियों की 7 सूत्रीय मांगें:
- सेवा शर्तों एवं वेतनमान में विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के समानता की बहाली
- एनपीएस/ओपीएस का पुनः क्रियान्वयन
- मेडिकल व अन्य भत्तों की पुनर्बहाली
- सीएएस/उच्च वेतनमान योजनाओं की पुनः स्थापना
- सेवा-निवृत्ति आयु को 65/62 वर्ष किया जाए
- पेंशन, ग्रेच्युटी व अन्य सेवानिवृत्त लाभों की गारंटी
- मूलभूत समस्याओं के समाधान तक अस्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया रोकी जाए
8 महीने से नहीं मिला वेतन, जबरन कम भुगतान से गुस्सा
प्रदर्शन के दौरान कई कर्मचारियों ने बताया कि पिछले आठ महीने से वेतन नहीं मिला है और जब भुगतान हुआ भी, तो नियमों के खिलाफ कम राशि दी गई। “यह डिमोशन के रूप में है, जबकि हमारी सैलरी कहीं अधिक है,” एक अधिकारी ने कहा।
‘आईजीकेवी के अधिकारी, फिर आईसीएआर के अधीन कैसे?’
प्रदर्शनकारियों ने यह सवाल भी उठाया कि यदि वे आईजीकेवी के अधीन कार्यरत हैं, तो उन्हें आईसीएआर के अधीन क्यों दर्शाया जा रहा है। “यह भ्रामक और भेदभावपूर्ण व्यवहार है,” उन्होंने कुलपति के समक्ष स्पष्ट किया।
कंट्रोलर पर आरोप, ‘हटाओ नहीं तो आंदोलन और तेज होगा’
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा विश्वविद्यालय के कंट्रोलर उमेश अग्रवाल के खिलाफ फूटा। उन्होंने आरोप लगाया कि कंट्रोलर के व्यवहार में पक्षपात है और वह केवीके स्टाफ के अधिकारों के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। “कंट्रोलर हटाओ, आईजीकेवी बचाओ” के नारों से परिसर गूंज उठा।
कुलपति से हुई लंबी चर्चा, मिला आश्वासन
आंदोलनकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल से मुलाकात कर विस्तृत चर्चा की। कुलपति ने आश्वासन दिया कि मांगों पर विचार कर विश्वविद्यालय कल तक कार्रवाई का लिखित पत्र देगा। संघ ने स्पष्ट किया कि यदि लिखित और ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो संविधान प्रदत्त अधिकारों के तहत चरणबद्ध और लोकतांत्रिक अनिश्चितकालीन कामबंद हड़ताल की घोषणा की जाएगी।
अंतिम चेतावनी: जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी
टीएसए ने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की अकादमिक, शोध या प्रसार कार्यों में उत्पन्न अवरोध की नैतिक, विधिक और संवैधानिक जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।