बिलासपुर | बिलासपुर के लिंगियाडीह क्षेत्र में एक पांच वर्षीय कैंसर पीड़ित बालक अंशु यादव की दुखद मृत्यु हो गई। इस घटना को लेकर क्षेत्र में शोक और आक्रोश का माहौल है। जहां स्थानीय लोगों और परिजनों द्वारा नगर निगम की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को बच्चे की मौत से जोड़ा जा रहा है, वहीं नगर निगम प्रशासन ने इसे पूरी तरह खारिज करते हुए अपना पक्ष स्पष्ट किया है।
नगर निगम का कहना है कि बच्चे की मृत्यु का कारण सड़क चौड़ीकरण अभियान नहीं, बल्कि उसकी गंभीर बीमारी थी, जो अंतिम चरण में पहुँच चुकी थी। निगम के अनुसार, पीड़ित परिवार को मानवीय आधार पर हर संभव सहयोग प्रदान किया गया।
निगम की कार्रवाई और मानवीय पहल
नगर निगम द्वारा 28 मई से अपोलो अस्पताल मार्ग पर मानसी लॉज से शनिचरी रपटा तक सड़क चौड़ीकरण अभियान चलाया जा रहा है। इस कार्य के लिए पूर्व में अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर स्वेच्छा से निर्माण हटाने का अनुरोध किया गया था। कई लोगों ने खुद ही अतिक्रमण हटाना शुरू कर दिया था, वहीं शेष के खिलाफ कार्रवाई की जा रही थी।
इसी दौरान संतोष यादव के मकान पर कार्रवाई के समय जानकारी मिली कि वह अपने कैंसर पीड़ित बच्चे के इलाज के लिए रायपुर में हैं। नगर निगम की टीम ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए उस दिन कोई कार्रवाई नहीं की। संतोष यादव द्वारा सूचना दी गई कि डॉक्टरों ने इलाज की अंतिम सीमा बता दी है और वे बच्चे को घर ले जा रहे हैं।
निगम ने बताया कि संतोष यादव को पहले ही अटल आवास योजना के तहत सेकेंड फ्लोर पर घर आवंटित किया गया था, लेकिन जब बच्चे की स्थिति और जरूरतों की जानकारी हुई, तो उसे ग्राउंड फ्लोर पर स्थानांतरित कर दिया गया। 29 मई को उन्होंने स्वयं से ही अपने मकान का एक हिस्सा हटाना शुरू कर दिया था और निगम ने शेष सामान को खुद के संसाधनों से स्थानांतरित करने में सहयोग किया।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
हालांकि, दूसरी ओर परिजनों और कुछ स्थानीय लोगों का आरोप है कि संतोष यादव ने दो से तीन दिन की मोहलत मांगी थी, लेकिन निगम ने कार्रवाई जारी रखी, जिससे मानसिक दबाव बढ़ा। इसी बीच 30 मई को अंशु की मृत्यु हो गई, जिससे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया है और कुछ लोग कलेक्ट्रेट घेराव की तैयारी में हैं।
नगर निगम की अपील
नगर निगम ने अपील की है कि इस दुखद घटना को सड़क चौड़ीकरण से जोड़ना तथ्यात्मक रूप से गलत है। निगम ने बताया कि पूरे मामले में मानवीय पहलुओं को प्राथमिकता दी गई और बच्चे की गंभीर स्थिति को समझते हुए हर कदम सहयोगात्मक रूप में उठाया गया।
इस घटना ने विकास कार्यों और मानवीय संवेदनाओं के बीच संतुलन की आवश्यकता पर एक बार फिर से बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर शहर के लिए आवश्यक अधोसंरचना सुधार है, वहीं दूसरी ओर इससे प्रभावित परिवारों की पीड़ा और परिस्थिति को समझना और संवेदनशीलता से निपटना भी जरूरी है।