बिलासपुर की सबसे पुरानी मुस्लिम कमेटी में बिना विवाद के हुआ नेतृत्व परिवर्तन, गरीब नवाज के मुरीद को मिली जिम्मेदारी
बिलासपुर। शहर की सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में अग्रणी भूमिका निभाने वाली “उसकी देन” कमेटी को रविवार को नया नेतृत्व मिल गया। शहर की सबसे पुरानी और प्रभावशाली मुस्लिम कमेटी मानी जाने वाली “उसकी देन” के नए सदर (अध्यक्ष) के रूप में युसूफ हुसैन उर्फ बंटी को सर्वसम्मति से चुना गया। यह निर्णय पूर्व निगम सभापति शेख नजीरूदीन के निवास पर आयोजित एक विशेष बैठक में लिया गया।
बैठक में शामिल कमेटी के वरिष्ठ और संस्थापक सदस्यों ने पूर्व सदर गय्यूर हुसैन के अस्वस्थ होने के कारण उनके पुत्र युसूफ हुसैन बंटी को अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सभी सदस्यों ने हाथ उठाकर समर्थन दिया। इस अवसर पर नए अध्यक्ष का फूलों की माला पहनाकर और शुभकामनाएं देकर गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
धार्मिक आयोजनों का संचालन करती है “उसकी देन” कमेटी
पूर्व निगम सभापति शेख नजीरूदीन ने इस मौके पर कहा कि “उसकी देन” कमेटी शहर में ईद मिलादुन्नबी पर निकलने वाले भव्य जुलूस का आयोजन करती है और मोहर्रम में दस रोजा तकरीरों समेत कई धार्मिक कार्यक्रमों का संचालन करती है। उन्होंने बताया कि कमेटी में अध्यक्ष पद को लेकर कभी कोई विवाद नहीं हुआ है और हमेशा सर्वसम्मति से सदर चुना गया है।
गरीब नवाज के अकीदतमंद को मिली अहम जिम्मेदारी
मदीना मस्जिद के पूर्व ईमाम मौलाना शब्बीर नूरी ने युसूफ हुसैन बंटी की धार्मिक आस्था की सराहना करते हुए कहा कि वे हर माह अजमेर शरीफ जाकर सरकार गरीब नवाज की दरगाह में हाजिरी देते हैं। उन्होंने इसे गरीब नवाज की अता बताते हुए कहा कि यह कमेटी की खुशकिस्मती है कि उन्हें ऐसा अध्यक्ष मिला है जो पूरी श्रद्धा और निष्ठा से सेवा करता है।
नए सदर ने जताया आभार, मौलाना ने कराई दुआ
नए सदर युसूफ हुसैन बंटी ने सभी सदस्यों और मुस्लिम समाज का आभार प्रकट करते हुए कहा कि वे ईमानदारी और सेवा भावना से कमेटी की जिम्मेदारी निभाएंगे। बैठक का समापन मौलाना शब्बीर नूरी की दुआ के साथ हुआ।
बैठक में ये प्रमुख सदस्य रहे मौजूद
इस बैठक में एस ए कादिर, शेख नजीरूदीन, अबरार बाबा, सैयद सादिक अली, हाजी इकबाल, इरशाद अली (अध्यक्ष, दरगाह लुतरा शरीफ), सैयद जफर, हाजी सलीम, सैयद इंसान अली, शेख महफूज, आदिल अली, शेरू भाई, प्यारे भाई, विक्की भाई, फैजान शिबू, सिकंदर खान, मूसा भाई, आदिल भाई समेत बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग उपस्थित थे।