बिलासपुर, 9 जुलाई 2025। छत्तीसगढ़ के सरकारी चिकित्सा संस्थान सिम्स (SIMS) में एक अत्यंत जटिल और दुर्लभ सर्जरी को सफलता पूर्वक अंजाम दिया गया, जिसमें डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम ने 65 वर्षीय महिला के पेट से 10 किलो 660 ग्राम वजनी ट्यूमर को सफलतापूर्वक बाहर निकाला। यह उपलब्धि न केवल चिकित्सा विज्ञान के प्रति समर्पण को दर्शाती है, बल्कि सिम्स में मौजूद आधुनिक सुविधाओं और कुशल चिकित्सा टीम की प्रमाणिकता को भी रेखांकित करती है।
पेट की सूजन से लेकर ऑपरेशन टेबल तक की यात्रा
कबीरधाम निवासी लक्ष्मी चौहान बीते दो वर्षों से पेट में असामान्य सूजन, बेचैनी और धीरे-धीरे बिगड़ते स्वास्थ्य से परेशान थीं। बीते 10 दिनों से उल्टियां, भूख न लगना और मल-मूत्र त्याग में असमर्थता ने उनकी स्थिति को गंभीर बना दिया। परिजन उन्हें तत्काल बिलासपुर स्थित सिम्स अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा सिंह ने उनकी जांच की।
जांच के दौरान सोनोग्राफी में पेट के अंदर एक विशाल ट्यूमर होने की पुष्टि हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए डॉ. नेहा सिंह ने विभागाध्यक्ष डॉ. संगीता रमन जोगी को सूचित किया। इसके बाद मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. लखन सिंह और अधिष्ठाता डॉ. रामनेश मूर्ति की सहमति से मरीज को तत्काल ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया।
चिकित्सकों की समर्पित टीम और सफल सर्जरी
एक विशेषज्ञ टीम गठित की गई जिसमें स्त्री रोग, एनेस्थीसिया और नर्सिंग के अनुभवी चिकित्सकों को शामिल किया गया। टीम में डॉ. संगीता रमन जोगी, डॉ. दीपिका सिंह, डॉ. रचना जैन, डॉ. अंजू गढ़वाल, डॉ. मधुमिता मूर्ति, डॉ. श्वेता, डॉ. प्राची, डॉ. आकांक्षा और नर्सिंग स्टाफ से ब्रदर अश्विनी सम्मिलित थे।
लगभग कई घंटे चले इस जटिल ऑपरेशन में टीम ने सावधानीपूर्वक लक्ष्मी देवी के पेट से 10 किलो से अधिक वजनी ट्यूमर को निकालने में सफलता हासिल की। यह ट्यूमर न केवल आंतरिक अंगों पर दबाव बना रहा था, बल्कि मरीज के जीवन के लिए भी गंभीर खतरा बन चुका था।
स्थिति अब स्थिर, सिम्स प्रबंधन ने जताया आभार
सर्जरी के बाद लक्ष्मी चौहान की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है और वे डॉक्टरों की निगरानी में धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं। सिम्स प्रबंधन ने समर्पित डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की टीम को उनके दक्षता, तत्परता और टीमवर्क के लिए विशेष रूप से धन्यवाद दिया है।
यह ऑपरेशन राज्य के सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में विश्वास को और मजबूत करता है और यह दिखाता है कि संसाधनों की सीमाओं के बावजूद जब समर्पण और विशेषज्ञता साथ आते हैं, तो असंभव भी संभव हो सकता है।