बिलासपुर। बिलासपुर स्थित अपोलो अस्पताल एक बार फिर लापरवाही के आरोपों से घिर गया है। कोरबा जिले के रजगामार निवासी 60 वर्षीय बेदराम को डायलिसिस की समस्या के चलते 31 मई को अपोलो अस्पताल में भर्ती किया गया था। इलाज के दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
परिजनों का कहना है कि इलाज के दौरान मरीज को दवाइयों का ओवरडोज दिया गया, जिससे उनकी हालत और ज्यादा खराब हो गई। मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए अब उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया है, जहां उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है।
परिजनों ने बताया कि भर्ती के शुरुआती दिनों में इलाज सामान्य रूप से चल रहा था, लेकिन 5 जून को मरीज की तबीयत अचानक बिगड़ गई। डॉक्टरों ने इसकी वजह स्पष्ट रूप से नहीं बताई। बाद में एक नर्स ने निजी तौर पर परिजनों को जानकारी दी कि गलती से दवाई की डोज अधिक दे दी गई थी। इसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से लिखित में जवाब मांगा, मगर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं मिली।
इस घटना के बाद अस्पताल में मौजूद अन्य मरीजों के परिजन भी चिंतित हो उठे हैं। लोगों में यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या एक बड़े और प्रतिष्ठित अस्पताल में भी मरीजों की जान इस तरह खतरे में डाली जा सकती है?
प्रशासन से जांच की मांग:
परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर जल्द ही न्याय नहीं मिला, तो वे मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से भी शिकायत करेंगे।
अस्पताल प्रबंधन की सफाई:
इस मामले में अपोलो अस्पताल की ओर से कोई आधिकारिक बयान अब तक जारी नहीं किया गया है। अस्पताल प्रशासन ने फिलहाल मामले पर चुप्पी साध रखी है।
पिछले मामलों की पुनरावृत्ति:
यह पहली बार नहीं है जब अपोलो अस्पताल बिलासपुर पर लापरवाही के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी समय-समय पर इलाज में कोताही, गलत दवा देने, और बिल में गड़बड़ी जैसे मामलों को लेकर अस्पताल पर सवाल उठते रहे हैं।