बिलासपुर। बहुचर्चित धर्मांतरण और मानव तस्करी के मामले में गिरफ्तार की गई दो ननों को लेकर आज बिलासपुर स्थित विशेष NIA कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने दोनों आरोपी ननों की जमानत याचिका सशर्त मंजूर कर ली है। जमानत की शर्तों के अनुसार, ननों को भारत छोड़ने की अनुमति नहीं होगी, साथ ही उन्हें जांच एजेंसियों के बुलावे पर हर बार उपस्थित रहना अनिवार्य होगा।
यह मामला उस वक्त सुर्खियों में आया जब दुर्ग रेलवे स्टेशन से दो ननों को पुलिस ने दो आदिवासी minor लड़कियों के साथ पकड़ा, जिन पर कथित रूप से धर्मांतरण और मानव तस्करी की कोशिश का आरोप लगा। प्रारंभिक जांच के आधार पर पुलिस ने दोनों ननों को गिरफ्तार किया था, जिससे न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई थी।
गिरफ्तारी के बाद मामला संसद तक गूंज उठा, और इस पर तीखी बहस देखने को मिली। केरल के कई सांसद ननों के समर्थन में रायपुर पहुंचे और इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया। वहीं, स्थानीय स्तर पर मामले को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों में तीखी प्रतिक्रिया सामने आई।
इससे पहले, दुर्ग जिला न्यायालय ने दोनों ननों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके पश्चात, बचाव पक्ष ने विशेष NIA कोर्ट, बिलासपुर में याचिका दायर की थी। कल दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित रखा था, जो आज सुनाया गया।
विशेष NIA कोर्ट ने दोनों ननों की जमानत को सशर्त मंजूरी देते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि मामले की जांच अभी जारी है, और आरोपी किसी भी सूरत में साक्ष्यों को प्रभावित न करें। साथ ही, बिना पूर्व अनुमति के वे अपने निवास स्थान से बाहर नहीं जा सकेंगी।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस जमानत के फैसले के बाद राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर क्या प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं, और जांच एजेंसियां इस मामले में आगे किस दिशा में बढ़ती हैं।