बिलासपुर। जमीन की खरीद-फरोख्त के नाम पर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह पर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। थाना सरकंडा पुलिस ने दस्तावेज लेखक महेंद्र सिंह ठाकुर को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेजा है, जबकि मुख्य आरोपी सुरेश कुमार मिश्रा सहित अन्य साथी अभी फरार हैं।
आवेदक अरुण कुमार दुबे ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि वर्ष 1999 में उन्होंने ग्राम मोपका स्थित खसरा नंबर 404 की 3000 वर्गफुट भूमि खरीदी थी। भूमि की रजिस्ट्री और नामांतरण की विधिवत प्रक्रिया पूरी कर दी गई थी। बाद में उन्होंने उक्त भूमि को सावित्री देवी राठौर को विक्रय कर दिया।
लेकिन जब खरीदार सावित्री देवी राठौर ने नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत किया, तब आरोपी सुरेश मिश्रा और उसके साथियों ने उप पंजीयक कार्यालय से विक्रय विलेख की द्वितीय प्रति निकालकर उसमें हेरफेर कर आपत्ति प्रस्तुत कर दी।
आरोप है कि सुरेश मिश्रा ने दस्तावेज लेखक महेंद्र सिंह ठाकुर के साथ मिलकर विक्रय विलेख की मूल प्रति में खसरा नंबर 404 दर्ज कराया, जबकि कार्बन प्रति में 429/2 अंकित कर पंजीयन कार्यालय में जमा किया गया। इस गड़बड़ी के आधार पर तहसील कार्यालय ने आदेश पारित कर खरीदी गई भूमि से आवेदक का नाम विलोपित कर दिया।
इस तरह आवेदक अरुण कुमार दुबे को उनकी खरीदी गई जमीन के अधिकार से वंचित कर दिया गया।
शिकायत की जांच में मामला सही पाए जाने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजनेश सिंह ने आरोपियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) राजेन्द्र जायसवाल एवं सीएसपी (सरकंडा) सिद्धार्थ बघेल के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी सरकंडा निरीक्षक निलेश पाण्डेय के नेतृत्व में टीम गठित की गई।
छापामार कार्रवाई में दस्तावेज लेखक महेंद्र सिंह ठाकुर (50 वर्ष), निवासी टेलीफोन एक्सचेंज रोड, अग्रसेन चौक, बिलासपुर को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। उसने कबूल किया कि उसने सुरेश मिश्रा के साथ मिलकर विक्रय विलेख में अलग-अलग खसरा नंबर दर्ज कर धोखाधड़ी की।
इसके बाद आरोपी को विधिवत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है।
मुख्य आरोपी अब भी फरार
पुलिस ने बताया कि प्रकरण में मुख्य आरोपी सुरेश कुमार मिश्रा और अन्य साथी फरार हैं। उनकी तलाश की जा रही है और जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।