Monday, November 10, 2025
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दशरथ खंडेलवाल हत्याकांड: हाईकोर्ट ने पलटा निचली अदालत का फैसला, दोनों आरोपी पाएंगे उम्रकैद की सजा…

बिलासपुर। नगर के प्रतिष्ठित व्यवसायी दशरथ खंडेलवाल हत्याकांड में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निचली अदालत के दोषमुक्ति आदेश को रद्द करते हुए दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि निचली अदालत ने ठोस साक्ष्यों की अनदेखी कर गलत निष्कर्ष निकाला था। अदालत ने दोनों अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302/34 में आजीवन कारावास और धारा 307/34 में 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी है।

घटना 22 नवंबर 2013 की है। बिलासपुर के उसलापुर स्थित 36 मॉल के पास रहने वाले होटल व्यवसायी अनिल खंडेलवाल के पिता दशरथ लाल खंडेलवाल अपने अलग घर में पत्नी विमला देवी के साथ रहते थे। दोपहर करीब 1.30 बजे दो अज्ञात युवक घर में घुसे और दरवाजे की घंटी बजाई। जब विमला देवी ने दरवाजा खोला, तो दोनों आरोपियों ने चाकू दिखाकर दंपति से पैसे मांगे और जान से मारने की धमकी दी।

विरोध करने पर आरोपियों ने दशरथ खंडेलवाल पर चाकू से हमला कर हत्या कर दी। बीच-बचाव में आई विमला देवी के पेट में भी चाकू मारकर दोनों आरोपी भाग गए। उन्होंने मृतक की कलाई घड़ी और मोबाइल फोन लूट लिया था। गंभीर रूप से घायल विमला देवी को बाद में बचा लिया गया, जबकि दशरथ खंडेलवाल की अस्पताल में मौत हो गई।

घटना के बाद पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर दो आरोपियों — विक्की उर्फ मनोहर सिंह (19 वर्ष) निवासी मधुबन नारियल कोठी, कोतवाली और विजय चौधरी (19 वर्ष) निवासी मन्नू चौक, टिकरापारा को गिरफ्तार किया। उनके पास से मृतक की घड़ी और मोबाइल फोन बरामद हुए। पुलिस की विवेचना के अनुसार, दोनों आरोपी पहले मृतक के घर में एस्बेस्टस सुधारने का काम कर चुके थे और घर की स्थिति जानने के बाद लूट की नीयत से वहां घुसे थे।

हालांकि, तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश बिलासपुर ने वर्ष 2016 में आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था।

हाईकोर्ट में अपील और निर्णय

दशरथ खंडेलवाल के पुत्र अनिल खंडेलवाल तथा राज्य शासन ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपील दायर की। खंडपीठ ने विस्तृत सुनवाई के बाद पाया कि निचली अदालत ने घायल गवाह विमला देवी खंडेलवाल की गवाही को पर्याप्त महत्व नहीं दिया।

अदालत ने कहा —

“मामूली विरोधाभासों या चूकों के आधार पर घायल गवाह के साक्ष्य को खारिज नहीं किया जा सकता। जब तक अन्य साक्ष्य और बरामदगी उसके कथन की पुष्टि करते हों, दोषसिद्धि की जा सकती है।”

खंडपीठ ने निचली अदालत के निष्कर्षों को “विकृत एवं अनुमानों पर आधारित” बताते हुए कहा कि यह निर्णय कानून की दृष्टि में टिक नहीं सकता।

अदालत का आदेश

हाईकोर्ट ने दोनों अभियुक्तों को धारा 302/34 के तहत आजीवन कठोर कारावास और 1000-1000 रुपये जुर्माने की सजा दी है। जुर्माना न चुकाने पर उन्हें दो माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा।
इसके अलावा, घायल विमला देवी पर हत्या के प्रयास के लिए उन्हें धारा 307/34 के तहत 10 वर्ष का कठोर कारावास और 1000-1000 रुपये जुर्माना लगाया गया है। यह दोनों सजाएँ साथ-साथ चलेंगी।

अदालत ने आदेश दिया कि दोनों अभियुक्त एक माह के भीतर निचली अदालत में आत्मसमर्पण करें, अन्यथा उन्हें पुलिस हिरासत में लेकर सजा भुगतनी होगी।

न्याय के लिए पुत्र की जिद

व्यवसायी अनिल खंडेलवाल ने पिता की हत्या के बाद लगातार न्याय की लड़ाई लड़ी। निचली अदालत से निराशा के बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। करीब 12 वर्ष बाद, अब उन्हें अपने पिता के हत्यारों को सजा दिलाने में सफलता मिली है।


संक्षेप में:

  • घटना: 22 नवंबर 2013, बिलासपुर
  • मृतक: दशरथ लाल खंडेलवाल
  • घायल: विमला देवी खंडेलवाल
  • आरोपी: विक्की उर्फ मनोहर सिंह, विजय चौधरी
  • निचली अदालत: 2016 में दोषमुक्त
  • हाईकोर्ट फैसला: दोषमुक्ति निरस्त, आजीवन कारावास
  • पीठ: चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस बीडी गुरु

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