Saturday, November 1, 2025
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गुरु घासीदास विश्वविद्यालय छात्र मृत्यु प्रकरण: जांच SIT के सुपुर्द, प्रधान आरक्षक की भूमिका केवल प्रारंभिक कार्यवाही तक सीमित…

बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (GGU) के छात्र अर्सलान अंसारी की मृत्यु के मामले में सोशल मीडिया और कुछ अन्य माध्यमों में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि जांच एक अनुभवहीन प्रधान आरक्षक द्वारा की जा रही है। जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल भिन्न है। यह प्रकरण अब एक उच्च स्तरीय विशेष जांच टीम (SIT) के अधीन है, जो नगर पुलिस अधीक्षक (CSP) गगन कुमार, आईपीएस के नेतृत्व में कार्य कर रही है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, मृतक अर्सलान अंसारी की मृत्यु कोनी थाना क्षेत्र में पानी में डूबने से हुई थी। प्रारंभिक रूप से यह मामला संदेहास्पद मृत्यु (मर्ग क्रमांक 81/2025) के रूप में दर्ज किया गया था। ऐसी स्थितियों में, नियमानुसार मर्ग पंचनामा और प्रारंभिक जांच की जिम्मेदारी थाना स्तर पर प्रधान आरक्षक या सहायक उपनिरीक्षक (ASI/HC) को दी जाती है। यह केवल प्रारंभिक औपचारिक प्रक्रिया होती है, ताकि मृत्यु के कारणों का प्रारंभिक आकलन किया जा सके।

थाना कोनी में भी इसी प्रक्रिया का पालन करते हुए प्रधान आरक्षक रमेश पटनायक द्वारा प्रारंभिक कार्यवाही की गई थी। इसके बाद, जब मामले में मृत्यु के कारणों पर संदेह की स्थिति बनी, तो वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसपी) बिलासपुर ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस प्रकरण की गहन जांच हेतु पाँच सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया।

इस टीम का नेतृत्व CSP गगन कुमार (IPS) कर रहे हैं। टीम में कोनी थाना प्रभारी निरीक्षक (TI) अनंत कुमार सहित साइबर सेल और तकनीकी सेल के अधिकारी शामिल हैं। SIT गठन के बाद से मामले की जांच पूरी वैज्ञानिक पद्धति, साक्ष्य संकलन और तकनीकी विश्लेषण के साथ आगे बढ़ाई जा रही है।

पुलिस अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि अब जांच टीम के प्रत्येक सदस्य की भूमिका और जिम्मेदारियां तय कर दी गई हैं। संबंधित दस्तावेजों में अधिकारी अपनी निर्धारित भूमिका के अनुसार हस्ताक्षर करते हैं। इस कारण यह दावा करना कि पूरी जांच केवल प्रधान आरक्षक द्वारा की जा रही है, भ्रम फैलाने वाला और तथ्यहीन है।

वर्तमान में जांच SIT टीम द्वारा CSP गगन कुमार (IPS) के निर्देशन में पारदर्शी, निष्पक्ष और विधिसम्मत ढंग से की जा रही है। पुलिस प्रशासन ने नागरिकों और मीडिया से अपील की है कि वे अपुष्ट या भ्रामक सूचनाओं पर विश्वास न करें और जांच पूरी होने तक धैर्य बनाए रखें।

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