बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक अहम आदेश में यह स्पष्ट संदेश दिया है कि पुलिस जांच में लापरवाही और अनावश्यक विलंब को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लाखनलाल वर्मा बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले में कोर्ट ने एफआईआर दर्ज होने के आठ वर्ष बाद भी जांच पूरी न होने पर गहरी नाराजगी जताते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) से व्यक्तिगत हलफनामा तलब किया है।
यह मामला थाना अंबिकापुर (जिला सरगुजा) में दर्ज एफआईआर क्रमांक 829/2016 से संबंधित है, जिसमें याचिकाकर्ता लाखनलाल वर्मा के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 384, 502, 504 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के माध्यम से एफआईआर को रद्द (Quash) करने की मांग की गई थी।
- एफआईआर 04 दिसंबर 2016 को दर्ज की गई थी।
- याचिकाकर्ता सहित तीन व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया था।
- 26 अक्टूबर 2017 को जांच एजेंसी ने सह-आरोपी अभय सिंह @ बंटी और वसीम बारी के खिलाफ आरोप-पत्र (चार्जशीट) दाखिल कर दी थी।
- परंतु लाखनलाल वर्मा के विरुद्ध जांच “लंबित” रखी गई और कहा गया कि “अलग चार्जशीट बाद में प्रस्तुत की जाएगी”।
- 04 दिसंबर 2024 को ट्रायल कोर्ट ने दोनों सह-आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
- याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय को अवगत कराया कि अब तक — न तो जांच पूरी हुई, न गिरफ्तारी की गई, न ही कोई अगला कदम उठाया गया।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी. डी. गुरु की खंडपीठ ने कहा कि यह मामला “जांच एजेंसी की लापरवाही और निष्क्रियता का उदाहरण” प्रतीत होता है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इतने लंबे समय तक जांच लंबित रखना न्याय के साथ खिलवाड़ है।
- DGP से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा गया — पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़ को यह बताना होगा कि एफआईआर की जांच में इतनी असाधारण देरी क्यों हुई।
- जांच अधिकारी से जवाबदेही तय करें — DGP को यह भी बताना होगा कि संबंधित जांच अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई या की जाएगी।
- समय सीमा तय — यह हलफनामा 11 नवंबर 2025 तक कोर्ट में दाखिल करना अनिवार्य होगा।
- राज्य के वकील को निर्देश — राज्य के अधिवक्ता को आदेश की प्रति तत्काल DGP रायपुर तक पहुँचाने का निर्देश दिया गया है।
मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर 2025 को निर्धारित की गई है, जब DGP का व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत किया जाएगा।


