बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR – Special Intensive Revision) की प्रक्रिया राजनीतिक बहस का केंद्र बन गई है। जैसे-जैसे मतदाता सूची के अद्यतन और सुधार की कार्रवाई आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी तेज़ होते जा रहे हैं। कांग्रेस ने अब बिलासपुर से इस मुद्दे पर मोर्चा खोलते हुए “एसआईआर निगरानी अभियान” शुरू करने की घोषणा की है।
कांग्रेस की निगरानी रणनीति
बिलासपुर कांग्रेस भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में एआईसीसी सचिव एवं एसआईआर निगरानी समिति के लोकसभा प्रभारी देवेन्द्र यादव ने स्पष्ट किया कि पार्टी स्तर पर प्रत्येक बूथ पर नजर रखी जाएगी। उन्होंने कहा —
“एसआईआर की हर गतिविधि पर कांग्रेस की नज़र रहेगी। बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के पीछे बूथ स्तरीय एजेंट (BLA) रहेंगे। हमारा उद्देश्य प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना है। यदि मतदाता अधिकारों से छेड़छाड़ हुई तो कांग्रेस सड़कों पर उतरेगी।”
कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से यह भी मांग की है कि मतदाता सूची सुधार और नामांकन के लिए दस्तावेज़ जमा करने की समयसीमा एक माह से बढ़ाकर तीन माह की जाए, ताकि अधिक नागरिक इस प्रक्रिया में भाग ले सकें।
राजनीतिक आरोप और जवाब
कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया को राजनीतिक लाभ के लिए प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि कई क्षेत्रों में मतदाताओं के नामों को बिना कारण सूची से हटाया जा रहा है।
वहीं भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि यह एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, जिसमें किसी भी राजनीतिक दल का हस्तक्षेप संभव नहीं।
निगरानी की चुनौती
हालांकि कांग्रेस ने निगरानी का जिम्मा अपने कार्यकर्ताओं को सौंपा है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रक्रिया की जवाबदेही तय न होने के कारण जमीनी स्तर पर गंभीरता की कमी देखने को मिल सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं से नियमित रिपोर्टिंग और फीडबैक तंत्र विकसित नहीं करती, तो निगरानी अभियान अधूरा रह जाएगा।
चुनावों पर सीधा असर
विशेषज्ञों के मुताबिक, मतदाता सूची पुनरीक्षण का असर सीधे तौर पर आगामी चुनावों पर पड़ेगा। यही वजह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों इस प्रक्रिया पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।
कांग्रेस का कहना है कि वह हर बूथ पर मतदाता अधिकारों की रक्षा के लिए तत्पर है, जबकि भाजपा का दावा है कि प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी है।


