संयुक्त संचालक डॉ मधुलिका, मलेरिया अधिकारी डॉ बीके वैष्णव और डॉ. लाल ने दी जानकारी
बिलासपुरः बिलासपुर प्रशासन मौसमी बीमारियों से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है, खासकर स्क्रब टायपट और जापानी बुखार से। अभी तक चमकी बुखार का कोई भी केस बिलासपुर में नहीं हुआ है लेकिन प्रशासन पूरी तरह से चौकन्नी है। कुपोषण चमकी बुखार का एक कारण है। ये बातें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की संयुक्त संचालक डॉ मधुलिका सिंह ठाकुर ने कही! स्वास्थ्य विभाग और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च की ओर से बुधवार को मीडियाकर्मियों के लिए कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का विषय- जलजनित रोगों के नियंत्रण एवं प्रबंधन रखा गया था। डा मधुलिका ने लोगों से अपील की कि वे धैर्य रखें। मौसमी बीमारियों के प्रति जागरूक रहें। इन्होंने बीमारियों से बचने और सुरक्षा उपाय को लेकर चलाए जा रहे अभियानों की जानकारी दी और कहा- मीडिया के माध्यम से नागरिकों को हमारा संदेश प्राप्त हो रहा, वे अपने सेहत के प्रति गंभीर हैं, यही सकारात्मक प्रयास इस कार्यशाला के माध्यम से भी किया जा रहा है।
इंटीग्रेटेड डिसीजेस सर्वेलियंस प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ. एसके लाल ने जलजनित रोगों-पोलियो, हेपेटाइटिस, डायरिया, हैजा, टायफाईड, कृमि के लक्षण, कारक और उपचार के तरीके बताए। इन्होंने वीडियो क्लिप्स के माध्यम से दूषित जल के रोगाणुओं से होने वाले नुकसान को बताया। अपने आसपास की गंदगी को हटाकर खुद को स्वच्छ और स्वस्थ रखने के तरीके बताए।
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ बीके वैष्णव ने जिले भर में चल रहे सुरक्षा अभियानों की जानकारी दी, इन्होंने नजदीकी ब्लाक क्षेत्र-कोटा, पेंड्रा और तखतपुर के गांव संचालित स्वास्थगत कार्यशालाओं के विषय को बताया। विषय विशेषज्ञ कृष्णा ने बताया कि सरकार का प्रयास है कि बिलासपुर 2024 तक मलेरिया मुक्त जिला बने, इसके लिए हर माध्यम से गांव, शहरों के लोगों और जनप्रतिनिधियों को अपने अभियान से जोड़ा जा रहा है, ताकि लोगों को इस बीमारी की गंभीरता को बता सकें, और सुरक्षित जीवन जी सकें।
जलजनित रोग एवं लक्षण
पोलियोः मांसपेशियों के संकुचन में अवरोध एवं हाथ पैर में लकवा।
डायरियाः मतली, उल्टी, दस्त, पेट में ऐंठन, डिहाइड्रेशन, भूख में कमी।
हैजाः शरीर में ऐंठन व डिहाइड्रेशन।
टायफाइडः बदहजमी, पेट में दर्द।
कृमिः दस्त, पेट में तकलीफ।