भारतीय रेल एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क एवं एकल सरकारी स्वामित्व वाला दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। किन्तु क्या आप ये भी जानते है कि आखिर रेलवे स्टेशनों के बोर्ड पर समुद्र तल की ऊंचाई क्यों लिखी होती है?
यदि आपने ध्यान दिया होगा तो आपको नजर आया होगा कि रेलवे स्टेशनों के बोर्ड पर समुद्र तल की ऊंचाई का भी उल्लेख रहता है। दरअसल, ये संसार गोल है और इसे एक बराबर ऊंचाई पर नापने हेतु वैज्ञानिकों को किसी ऐसी बिंदु की आवश्यकता थी जो एक समान दिखे।
लिहाजा इस मामले में समुद्र सबसे अच्छा चुनाव है, क्योंकि समुद्र का पानी एक समान रहता है। आपकी जानकारी हेतु बता दें कि रेलवे स्टेशनों पर समुद्र तल की ऊंचाई लिखने से यात्रियों को कोई लाभ नहीं होता। इसका लाभ रेलगाड़ी के ड्राइवरों को होता है।
मान लें कि एक रेलगाड़ी 100 मीटर समुद्र तल की ऊंचाई से 200 मीटर समुद्र तल की ऊंचाई पर जा रही है, तो ड्राइवर काफी सरलता से ये फैसला ले सकता है कि 100 मीटर की ज्यादा चढ़ाई चढ़ने हेतु उसे इंजन को कितना पावर देना होगा।
यदि मान लें कि रेलगाड़ी नीचे की तरफ जाएगी तो नीचे आते समय ड्राइवर को कितना ब्रेक लगाना पड़ेगा या कितनी गति बनाए रखने की आवश्यकता पड़ेगी, ये सब जानने हेतु ही स्टेशनों पर समुद्र तल की ऊंचाई लिखी जाती है।
इसके सिवा ‘समुद्र तल की ऊंचाई’ की सहायता से रेलगाड़ी के ऊपर लगे बिजली के तारों को एक समान ऊंचाई देने में भी सहायता प्राप्त होती है, ताकि बिजली के तार रेलगाड़ी के तारों से प्रत्येक वक्त सटे रहें।