एसईसीएल में काम करने वाले श्रमिक संगठन के कर्मचारी कोयला उद्योग में 100 फीसदी एफडीआई का कर रहे हैं विरोध
भारतीय मजदूर संघ ने किया 5 दिवसीय हड़ताल का ऐलान, एक दिन पहले ओडिशा में ट्रेन रोकी, खदानें कराई बंद
रायगढ़. एसईसीएल में काम करने वाले 5 श्रमिक संगठन के कर्मचारी मंगलवार को एक दिन की हड़ताल पर रहे। जिले के 6 कोल खदानों में कोयले का प्रोडक्शन और डिस्पैच नहीं हो सका। 1 हजार से अधिक कर्मचारियों ने इस हड़ताल में शामिल हुए। कोयला उद्योग में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश करने मजदूरों की आजीविका पर संकट आने की बात कहते हुए संगठनों ने हड़ताल की। भारतीय मजदूर संघ ने 5 दिसवयर हड़ताल का ऐलान किया है। इससे एक दिन पहले सोमवार को आंदोलनकारियों ने ओडिशा में ट्रेन रोक दी थी और खदानों में काम बंद करा दिया था।
प्रोडक्शन, ट्रांसपोर्टिंग बंद, लेकिन बड़े प्लांट पर असर नहीं
- अपनी मांगों को लेकर कोयला श्रमिक संघ सीटू, भारतीय कोयला मजदूर संघ, एटक, इंटक, एचएमएस संगठन के सदस्य एक दिवसीय हड़ताल पर रहे। कोल माइंस एरिया में सरकार के फैसलों के खिलाफ नारेबाजी की और काम बंद रखा। भारतीय कोयला मजदूर संघ 23-27 सितंबर तक पांच दिनों की हड़ताल पर रहेगा। कोल इंडिया में 100 प्रतिशत एफडीआई का फैसला वापस लेने की मांग की गई है। सभी कंपनियों को मिलाकर कोल इंडिया लिमिटेड एक कंपनी बनाने की मांग, बोनस की राशि का भुगतान करने, ठेकेदार से जुड़े मजदूरों को नियमित करने की मांग पर दिनभर हड़ताल में रहे।
- संघ के पदाधिकारी आशीष पटेल ने बताया कि छाल, बरौद, जामपाली, गारे पेमला वन एंड टू और बिजारी कोल माइंस में प्रोडक्शन और ट्रांसपोर्टिंग बंद रहा। इन छह कोल माइंस से रोजाना लगभग 30 हजार टन कोयले का डिस्पैच और 40 हजार टन प्रोडक्शन होता है, ये काम हड़ताल के कारण ठप रहे। हालांकि बड़े प्लांट्स में करीब एक महीने तक इस्तेमाल होने जितना कोयला स्टॉक में रखा जाता है। मजदूर संगठन के लोगों का ही कहना था कि बड़े उद्योगों को हड़ताल से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ। जिंदल इंडस्ट्रियल एरिया में चल रहे छोटे और मझले उद्योगों के प्रोडक्शन में भी कुछ खास प्रभावित नहीं हुआ।