नई दिल्ली: भारत के खिलाफ एक लड़ाई में पाकिस्तान को बुधवार को एक और करारा झटका लगा है। दरअसल हैदाराबाद के निजाम की सपत्ति से जुड़े एक मामले में ब्रिटेन की अदालत ने बुधवार को भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पाकिस्तान के सभी तर्कों को खारिज कर दिया है। अदालत ने पाया कि हैदराबाद के सातवें निजाम इस रकम के सही उत्तराधिकारी हैं। इसलिए उनके पक्ष में खड़े भारत और निजाम के दो पोते ही इसके सही हकदार हैं।
दरअसल मामला हैदराबाद के सातवें निजाम नवाब मीर उस्मान अली खान सिद्दिकी की संपत्ति के मालिकाना हक के लिए भारत और पाकिस्तान ने दावा किया था। नवाब मीर उस्मान की संपत्ति बटवारे के वक्त करीब 35 मिलियन पाउंड लंदन के नेशनल वेस्टमिनस्टर बैंक में जमा कराई गई थी। बताया गया कि हैदराबाद के तत्कालीन निजाम ने 1948 में ब्रिटेन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहीमउतुल्ला को यह रकम भेजी थी। भारत का समर्थन करने वाले निजाम के वंशज इस रकम पर अपना हक जताते हैं, जबकि पाकिस्तान भी इस पर दावा करता है।
पाकिस्तान की ओर से यह विवाद पूरी तरह से गैर न्यायसंगत था। उसने अवैधता के सिद्धांत की बात करते हुए वसूली रुकने की भी बात कही। इसके अलावा उसने अन्य पक्षों के दावों को तय समय के भीतर नहीं करने की भी बात कही। मगर अदालत में उसकी एक न चली। कोर्ट ने कहा कि समयसीमा के तर्क को प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया।