रायपुर। मुख्य सचिव आर.पी. मंडल ने आज यहां न्यू सर्किट हाऊस के सभाकक्ष में प्रदेश के सभी संभागायुक्त और कलेक्टरों की बैठक लेकर प्रदेश में चल रहे विभिन्न विकास कार्यो एवं योजनाओं की विस्तार से समीक्षा की। मंडल ने प्रथम सत्र की बैठक में खरीफ वर्ष 2019-20 में धान खरीदी की तैयारी, लोक सेवा गारंटी अधिनियम, स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहरों की साफ-सफाई, आबादी एवं नजूल भूमि के पट्टों को फ्री होल्ड करने, लंबित डायवर्सन प्रकरणों का निराकरण और प्रदेश के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों की मरम्मत आदि कार्यो की जिलेवार समीक्षा की।
मुख्य सचिव श्री मंडल ने धान खरीदी की समीक्षा करते हुए कहा कि देश में 2500 रूपए प्रति क्ंिवटल धान खरीदने वाला छत्तीसगढ़ एक मात्र राज्य है और यहां पर छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्यों से धान की अवैध आवक होती है। इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाए। उन्होंने राज्य के सभी कमिश्नरों को इसकी निरंतर मॉनिटरिंग करने और धान खरीदी में कोचियों और बिचौलियों के खिलाफ लगातार कार्यवाही करने को कहा। मंडल ने कहा कि धान खरीदी शुरू होने के साथ ही खरीदी केन्द्रों का रोज सत्यापन किया जाए। वे हर 15 दिन में धान खरीदी की समीक्षा करेंगे।
मुख्य सचिव ने कलेक्टरों से कहा कि आबादी एवं नजूल भूमि के पट्टों हितग्राहियों को भू-स्वामी का हक मिलेगा इससे वे भूमि का हस्तांतरण आसानी से कर सकेंगे। इससे विकास बढ़ेगा और राज्य शासन का राजस्व भी। मुख्य सचिव ने बारिश के दौरान प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की क्षतिग्रस्त सड़कों का शीघ्र मरम्मत कराने के निर्देश सभी कलेक्टरों को दिए हैं। उन्होंने स्मार्ट सिटी योजना के तहत प्रदेश के पांच शहरों रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा और कोरबा की सफाई व्यवस्था का समीक्षा की। मुख्य सचिव ने सभी कमिश्नरों को गिरदावरी सुधारने, लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अंतर्गत लंबित प्रकरणों का शीघ्र निराकरण कराने, डायवर्सन के प्रकरणों को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ पूरा कराने, छत्तीसगढ़ के शहरी क्षेत्रों में करीब 23 हजार से अधिक तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 10 हजार 249 आबादी पट्टों का शत-प्रतिशत वितरण 25 नवम्बर तक कराने, आबादी-नजूल भूमि पट्टो का फ्री-होल्ड कराने, नियमितिकरण के प्रकरणों का शीघ्र निराकरण कराने एवं दो वर्षो से लंबित विवादित नामांतरण के प्रकरणों को शीघ्र पूरा कराने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने सभी कमिश्नरों को सात दिन के भीतर रिर्पोट देने के भी निर्देश दिए हैं।