Monday, December 23, 2024
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छत्तीसगढ़: विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन शून्यकाल में गूंजा, संसदीय सचिवों की नियुक्ति का मामला…

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति का मामला उठाया। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि क्या इसके पहले विधानसभा में संसदीय सचिवों का परिचय कराया गया है।

संसदीय सचिवों के मामले पर यह फैसला आपकी सरकार के समय आया था। क्या आपने उस फैसले के बारे में अवगत कराया। मैं समझता हूं कि संसदीय सचिव के बारे में और कोई चर्चा की आवश्यकता नहीं है। अजय चंद्राकर ने स्थिति स्पष्ट करने की मांग की शून्यकाल के दौरान पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने संसदीय सचिवों के मामले में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। उन्होंने कहा कि संसदीय सचिवों के खिलाफ मोहम्मद अकबर हाई कोर्ट गए थे। कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया था, अब सरकार ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति की है।

इस संबंध में स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए, क्योंकि यह व्यवस्था का प्रश्न है। इस संबंध में स्थिति साफ की जानी चाहिए। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा- संसदीय सचिवों के बारे में सदन को जानकारी नहीं दी गयी विधि मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का जो निर्देश आया हुआ है। उसका पालन करते हुए संसदीय सचिव बनाए गए हैं। इस पर भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि संसदीय सचिवों के बारे में सदन को जानकारी दी ही नहीं गई है। संसदीय सचिव बनाए गए हैं तो वह संसदीय प्रक्रियाओं में मंत्रियों की मदद करने के लिए बनाए गए हैं। इसके संबंध में सदन को जानकारी दी जानी चाहिए कि उनका क्या काम होगा? कौन-कौन से अधिकार उन्हें दिए जाएंगे? सदन में यह जानकारी मुख्यमंत्री को देनी चाहिए।

धरमलाल कौशिक ने कहा: पूरे प्रदेश में भ्रम की स्थिति नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी विषय को उठाते हुए कहा कि कांग्रेस ने ही इसका विरोध किया था। अब कांग्रेस की सरकार ने ही संसदीय सचिव बनाए हैं। इस संबंध में पूरे प्रदेश में भ्रम की स्थिति है। सदन में संसदीय सचिवों का परिचय कराना चाहिए था। सदन में इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए थी कि संसदीय सचिवों की वैधानिक स्थिति क्या है? विधि मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि संसदीय सचिव मंत्रियों को सहयोग करने के लिए बनाए गए हैं। मंत्रियों से संसदीय सचिवों का परिचय करा दिया गया है। संसदीय सचिव सदन में जवाब नहीं देंगे, इसलिए सदस्यों से उनका परिचय कराने की आवश्यकता नहीं है। संसदीय सचिवों को मंत्री का दर्जा प्राप्त नहीं है, इसलिए उन्हें यहां पर परिचय देने की भी आवश्यकता नहीं है।

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