बिलासपुर। घोर नक्सल क्षेत्र में 5 साल तक सेवा देने के बावजूद मैदानी क्षेत्र में स्थानान्तरण नही किए जाने पर सहायक अभियंता रूद्र प्रताप सिंह ने हाइकोर्ट में याचिका दायर किया, जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने उसके प्रकरण का निराकरण करने विभाग को निर्देशित किया गया। जिसके बाद विभाग ने सहायक अभियंता का बीजापुर से रायपुर स्थानान्तरण कर दिया है।
दरअसल रायपुर निवासी रूद्रप्रताप सिंह की नियुक्ति वर्ष 2017 में सहायक अभियंता (इंजीनियर) के पद पर हुई थी। वे वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक लगातार 05 (पांच) वर्षों तक घोर अनुसूचित-नक्सली जिले में पदस्थ थे, मैदानी जिले में स्थानांतरण के लिए लगातार आवेदन देने के बाद भी उनका स्थानांतरण ना किये जाने से परेशान होकर रूद्र प्रताप सिंह द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं घनश्याम शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की गई।
अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग, रायपुर द्वारा दिनांक 03 जून 2015 को जारी स्थानांतरण नीति के पैरा-13 में यह प्रावधान है कि यदि कोई शासकीय सेवक अनुसूचित जिले में तीन वर्ष एवं घोर अनुसूचित जिले में दो वर्ष अपनी सेवा दे चुका है, ऐसी स्थिति में शासकीय कर्मचारी मैदानी जिले में स्थानांतरण का पात्र है। यहां याचिकाकर्ता द्वारा 05 (पांच) वर्षों तक घोर अनुसूचित-नक्सली जिला-बीजापुर में अपनी सेवाऐं दी हैं, इसलिए याचिकाकर्ता मैदानी जिले में नियुक्ति का पात्र है।
इसके साथ ही यह भी आधार लिया गया कि याचिकाकर्ता की पत्नी उषा ठाकुर पुलिस विभाग में जिला रायपुर में सूबेदार के पद पर पदस्थ हैं एवं पति-पत्नी के अलग-अलग जिलों में पदस्थापना से उन्हें पारिवारिक कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा उत्पन्न हो रही है। तर्कों को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, रायपुर को यह निर्देशित किया गया कि वे स्थानांतरण नीति के परिपालन में याचिकाकर्ता का जिला- बीजापुर से जिला रायपुर स्थानांतरण लिए प्रस्तुत आवेदन का नियमानुसार निराकरण करें। हाइकोर्ट द्वारा आदेश जारी होने के बाद याचिकाकर्ता के आवेदन को विभाग ने स्वीकार कर याचिकाकर्ता का मैदानी जिले में स्थानांतरण कर दिया गया।