छात्रों की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई से यह बताने को कहा है कि वह अगले साल राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा (नीट) में इसके लिए क्या व्यवस्था करेगा मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट का पेपर सभी भाषाओं में एक जैसा होना चाहिए सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए होने वाली राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा (नीट) का पेपर सभी भाषाओं में एक जैसा रखने का निर्देश दिया है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से हलफनामा देकर यह भी बताने को कहा है कि वह अगले साल इसके लिए क्या व्यवस्था अपनाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश पिछले महीने कुछ छात्रों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. इसमें नीट-2017 में हिंदी और अंग्रेजी की तुलना में अन्य आठ स्थानीय भाषाओं के पेपर का स्तर कठिन होने की शिकायत की गई थी. हालांकि, इससे पहले की सुनवाई में सीबीएसई इस आरोप को खारिज कर चुका है. पिछली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सीबीएसई से स्थानीय भाषा में मेडिकल परीक्षा पास करने वाले छात्रों का आंकड़ा भी मांगा था.
सीबीएसई के हलफनामे के मुताबिक नीट-2017 में स्थानीय भाषा में परीक्षा देने वाले 1,00,152 छात्रों में से 30,817 छात्र पास हुए. इनमें एक छात्र ही 720 में से 600 से ज्यादा अंक ला पाया, जबकि 84 छात्रों के अंक 501-600 के बीच रहे. पिछली प्रवेश परीक्षा से तुलना करके सीबीएसई ने बताया कि 2013 में स्थानीय भाषा में 21,778 छात्रों ने परीक्षा दी थी जिनमें से केवल एक छात्र 501-600 के बीच अंक ला पाया था. इसी आधार पर सीबीएसई ने कहा कि नीट-2017 में स्थानीय भाषा का पेपर कठिन नहीं था.
नीट-2017 को इसी साल सात मई को आयोजित किया गया था. इसमें कुल 11.5 लाख छात्र शामिल हुए थे. इनमें 10.5 लाख ने परीक्षा के माध्यम के तौर पर हिंदी या अंग्रेजी जबकि बाकी छात्रों ने आठ क्षेत्रीय भाषाओं में किसी एक को विकल्प बनाया था.