नोटबंदी के बाद मोदी सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है. सरकारी बैंकों के मर्जर की दिशा में मोदी सरकार आगे बढ़ गई है. देश में 3-4 वर्ल्ड क्लास बैंक बनाने के एजेंडे को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. बैंकों का मर्जर दो चरणों में किया जाएगा. पहले चरण में इनकी संख्या 21 से घटाकर 12 हो सकती है. वहीं, दूसरे चरण में सरकार बैंकों की संख्या घटाकर 6 पर ला सकती है. सरकार का लक्ष्य सरकारी बैंकों का आपस में मर्जर कर देश में 5-6 बैंक बनाने का है.
पहले चरण में बंद हो सकते है 9 बैंक
पहले चरण में मौजूदा 21 सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 की जा सकती है है. साथ ही, पहले चरण में यह भी देखा जाएगा कि एक ही तरह की तकनीकी इस्तेमाल करने वाले बैंकों के मर्जर की राह खोली जाए. इससे तकनीकी तालमेल बिठाने में बैंकों को ज्यादा दिक्कत नहीं होगी. इससे मर्जर प्रक्रिया जल्दी पूरी होगी.
दूसरे चरण में बंद होंगे 6 बैंक!
दूसरे चरण में इन बैंकों की संख्या और घटाई जा सकती है. सरकार मानती है कि देश में 5-6 से ज्यादा सरकारी बैंकों की जरूरत नहीं है.
ये बैंक हो जाएंगे खत्म
पंजाब नेशनल बैंक में ओबीसी, इलाहाबाद बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, इंडियन बैंक का मर्जर हो सकता है. केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक का मर्जर होने की खबरें है. वहीं, यूनियन बैंक में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और देना बैंक का मर्जर किया जा सकता है. इसके अलावा बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और विजया बैंक का मर्जर हो सकता है.
आप पर क्या होगा असर?
अक्सर मर्जर के दौरान पेपर वर्क बढ़ जाता है. इसके लिए केवाईसी का प्रॉसेस फिर से करना होता है. एटीएम और पासबुक नए सिरे से अपडेट होगी. लेकिन लोन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. अमाउंट ट्रांसफर होने से दरों में अंतर नहीं पड़ता.
छह बैंकों का हो चुका है मर्जर
पांच सहयोगी बैंक और भारतीय महिला बैंक का मर्जर भारतीय स्टेट बैंक में 1 अप्रैल 2017 को हो चुका है. इस मर्जर के बाद एसबीआई दुनिया के 50 बड़े बैंकों की सूची में शामिल हो गया है. वित्त मंत्रालय अब इस मर्जर के मॉडल को अन्यज सार्वजनिक बैंकों पर भी दोहराना चाहता है.
तेजी से हो रहा है काम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैंकिंग विभाग में कुछ बैंकों के मर्जर को लेकर बेहद तेजी से फाइलें आगे बढ़ रही हैं. इसके तहत देश के तीन बड़े बैंकों पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में मर्जर की गाड़ी आगे बढ़ेगी. बैंक मर्जर को लेकर जो भी भ्रांतियां थीं, वे एसबीआई में सहयोगियों के मिलने के साथ खत्म हो गई हैं.
15 साल से किया जा रहा था विचार
देश में सरकारी बैंकों के आपस में मर्जर की योजना पर 15 वर्षों से विचार किया जा रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के निर्देश पर भारतीय बैंक संघ ने वर्ष 2003-04 में एक प्रस्ताव तैयार किया था. लेकिन यूनियनों के भारी विरोध को देखते हुए सरकार आगे नहीं बढ़ सकी. वित्त मंत्री अरुण जेटली सरकारी बैंकों में मर्जर को प्राथमिकता के तौर पर ले रहे हैं.