सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा, कि ‘जिस नर्सिंग होम में आईसीयू नहीं है, वे ऑपरेशन नहीं कर सकते हैं। आईसीयू के अभाव में मरीज की जान को खतरा हो सकता है। ये फैसला जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और यूयू ललित ने बिजॉय कुमार सिन्हा की ओर से दायर एक याचिका पर सुनाया है। बिजॉय की पत्नी की जान अस्पताल की तथाकथित लापरवाही के कारण हो गई थी।
कोलकाता के आशुतोष नर्सिंग होम में डॉ. बिश्वनाथ दास ने बिजॉय की पत्नी की हिस्टीरिकटॉमी सर्जरी की थी। यह सर्जरी दिसंबर 1993 में हुई थी। इसके एक महीने बाद उनकी मौत हो गई थी। इस नर्सिंग होम में आईसीयू की सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
यह मामला 2008 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था। इस मामले में याचिकाकर्ता बिजॉय की भी मौत हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से पहले यह मामला 11 साल तक कन्ज्यूमर फोरम में भी चला। इस मामले पर बिजॉय के वकील सुचित मोहंती ने बताया, कि ‘बिजॉय की मौत के बाद वे मुश्किल में पड़ गए थे, लेकिन फिर उनके बेटे सॉमिक रॉय को उनका कानूनी वारिस बनाकर केस को अंजाम तक पहुंचाया गया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बिजॉय के परिवार को 5 लाख रुपए मुआवजे में मिलेंगे। इसमें से 3 लाख रुपए डॉ. दास को देना होगा, जबकि 2 लाख रुपए नर्सिंग होम के मालिक डॉ. पीके मुखर्जी देंगे।