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अगले माह राहुल गांधी संभालेंगे कांग्रेस की कमान

लंबे इतजार के बाद यह माना जा रहा है कि अगले माह कांग्रेस की कमान पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी संभाल लेंगे। पार्टी के वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव के बाद राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व करने को तैयार हो गए हैं। वह अपनी मां सोनिया गांधी की जगह लेंगे। राहुल गांधी के रणनीतिकारों की योजना संगठन की कमान संभालने से पहले राहुल गांधी को सोनिया की जगह विपक्ष के सर्वमान्य नेता के तौर पर स्थापित करने की है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजग में जाने के बाद राहुल के रणनीतिकारों की हिचकिचाहट अब पूरी तरह से खत्म हो गयी है।

विपक्षी एकता के नाम पर नीतीश के साथ रहने में राहुल खुद को पीछे रखने के लिए भी तैयार थे लेकिन स्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। बदले हालात में राहुल गांधी को विपक्ष की प्रमुख अवाज बनाने के पीछे की रणनीति भी यही है कि देश में क्षेत्रीय दलों की कमान नौजवानों के हाथों में है और उन्हें राहुल को नेता के रूप में स्वाकर करने में कोई हिचक नहीं होगी।

चाहे उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव हों या फिर तमिलनाडु में स्टालिन, बिहार में राजद के तेजस्वी यादव, झारखंड में हेमंत सोरेन,महाराष्ट्र में भी शरद पवार की सेहत के चलते राकांपा का रोजमर्रा का काम उनकी बेटी सुप्रिया सुले के ही हाथ में है। इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर में भी उमर अबदुल्ला को राहुल के नाम पर कोई परहेज नहीं है। आंध्र में पार्टी को जगन रेड्डी से काफी उम्मीदे हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और माकपा नेता सीताराम येचुरी को भी राहुल के नाम पर कोई आपत्ति नहीं है। इन्हीं सबके चलते कांग्रेस के अंदर यह माना जा रहा है कि यही सबसे उचित समय है राहुल को आगे करने का।

राहुल के रणनीतिकार भी यह जानते हैं कि पार्टी की कमान संभालना और प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के बीच राहुल के लि, कोई चुनौती नहीं है। सबसे बड़ी चुनौती है तो बदली राजनीतिक परिस्थितियों में विपक्ष के सर्वमान्य नेता बनने की।

राहुल ही नहीं कांग्रेस के अन्य नेता भी यह मानने से कोई गुरेज नहीं करते हैं कि वर्ष 2019 में मोदी से टकराने के लिए कांग्रेस को विपक्ष को न केवल एकजुट करना होगा बल्कि उसका नेतृत्व करने के लिए भी तैयार रहना होगा। अपने अमेरिका के दौरे में राहुल ने जिस तरह भविष्य की राजनीति को लेकर स्पष्ट जवाब दि, वह उनकी आने वाली राजनीति का संकेत है।

पहली बार राहुल गांधी ने यह स्वीकार किया है कि वह न केवल कांग्रेस की कमान को संभालने को तैयार हैं बल्कि यह भी कहा कि प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए भी तैयार हैं। यह सब कुछ अनायास नहीं है। इसके पीछे राहुल के रणनीतिकारों की सोची समझी रणनीति काम कर रही है।

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