हरियाणा के पंचकुला से लेकर सिरसा तक जो हुआ क्यों हुआ? क्या मनोहरलाल खट्टर की सरकार हिंसा नहीं रोक सकती थी? क्यों राम रहीम को 200 कार के काफिले के साथ पंचकुला आने दिया गया? अब तक ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब नहीं मिला है? सुनी-सुनाई से कुछ ज्यादा है कि सच्चा सौदा के मुखिया राम रहीम के साथ हरियाणा सरकार की एक डील हुई थी.
राम रहीम उर्फ गुरमीत सिंह पहले अपने डेरे से बाहर ही नहीं आना चाहता था और हरियाणा सरकार को किसी भी कीमत पर उसे सिरसा से निकालकर पंचकुला लाना ही था. रेप केस के फैसले के दिन मुजरिम का अदालत में मौजूद होना जरूरी होता है. और राम रहीम इसी शर्त पर कोर्ट आना चाहता था कि उसे छोड़ दिया जाएगा. अब कोर्ट क्या फैसला करेगा इसका अंदाजा ना सरकार को था ना ही पुलिस को. सुनी-सुनाई है कि राम रहीम को एक बड़े नेता की तरफ से आश्वासन मिला था कि कोर्ट से उसे सजा नहीं मिलेगी और वो आसानी से छूट जाएगा.
सजा से कुछ दिन पहले से उसके समर्थक पंचकुला में इकट्ठा होने शुरू हो गए थे. पुलिस चाहती तो उन्हें खदेड़ सकती थी. लेकिन राम रहीम ने सरकार के सामने शर्त रखी कि उसके किसी भी समर्थक पर पुलिस बल प्रयोग नहीं करेगी. सजा से एक रात पहले तक पंचकुला की सड़कों पर हजारों डेरा समर्थक आ चुके थे. पुलिस ने धारा 144 लगा रखी थी. डीजीपी ने मुख्यमंत्री से लाठीचार्ज की इजाजत मांगी. लेकिन सरकार के शीर्ष नेतृत्व ने मना कर दिया. वह किसी भी सूरत में राम रहीम को ये नहीं दिखाना चाहती थी कि फैसला उसके मन के खिलाफ भी हो सकता है.
हरियाणा के एक वरिष्ठ पुलिस अफसर के मुताबिक अगर डेरा के एक समर्थक पर भी लाठी चलती तो राम रहीम शायद अपने डेरे से बाहर ही नहीं आता. इसके बाद वहां से गुरमीत सिंह को बाहर निकालना पुलिस तो क्या सेना के लिए भी मुश्किल होता. पुलिस के ये अफसर रामपाल का उदाहरण देते हैं जिसे गिरफ्तार करने में हरियाणा पुलिस को कई दिन लग गये थे. और इसमें कई लोगों की जानें गई थीं. वे बताते हैं कि राम रहीम के डेरे के सामने रामपाल का ठिकाना तो कुछ था ही नहीं. इसमें बंकर और सुरंगें थीं और राम रहीम के भक्तों की संख्या भी बहुत ज्यादा थी. इसलिए उसे अपने डेरे से बाहर निकलना बहुत जरूरी था.
हरियाणा की सरकार और पुलिस दोनों इसी रणनीति पर काम कर रहे थे. सजा से पहले बड़े-बड़े नेताओं ने उससे बात की. हरियाणा के पत्रकार बताते हैं कि कम से कम 15 विधानसभा की सीटें ऐसी है जहां भाजपा राम रहीम की वजह से चुनाव जीती. अब कुछ करने की बारी भाजपा नेताओं की थी. इसलिए वे उसे भरोसा दे रहे थे. लेकिन राम रहीम अपने डेरे से निकलने को लेकर आश्वस्त नहीं था. वह बार-बार सरकार के मंत्रियों और अफसरों से बात कर रहा था. उसने पुलिस के सामने ढेर सारी शर्तें रख दीं – दो सौ गाड़ियों से जाना, बीच रास्ते में गाड़ी बदलना, अपने कमांडो और सिक्योरिटी ले जाना.
हरियाणा सरकार उसकी हर शर्त मानती चली गई. मुख्यमंत्री के एक करीबी नेता बताते हैं कि राम रहीम जब तक पंचकुला कोर्ट नहीं पहुंचा सरकार में मुख्यमंत्री से लेकर पुलिस अफसरों तक की धड़कनें बढ़ी हुई थीं. जब एक बार राम रहीम कोर्ट के अंदर दाखिल हो गया तब पुलिस ने अपना काम शुरू किया. उसने राम रहीम और उसके समर्थकों की गाड़ियां कोर्ट से हटाना और स्थिति को अपने नियंत्रण में लेने का काम शुरु कर दिया. हालांकि ये काम वह जरा भी सफाई से नहीं कर सकी. इस वजह से पंचकुला और हरियाणा के कई और हिस्सों में भयानक आगजनी और हिंसा देखने को मिली.
अब राम रहीम के करीबी कहते हैं कि भाजपा ने उनके बाबा को धोखा दे दिया.पहले वोट लेने के लिए सीबीआई से राहत दिलाने का वादा किया और फिर उसे जेल भिजवा दिया.