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पैथ लैब चलाने के लिए एमबीबीएस डाक्टर का होना अनिवार्य: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार अब कोई पैथोलॉजी लैब बिना किसी पैथोलॉजिस्ट के चलाना अपराध होगा. किसी भी लैब में पैथोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट किए विशेषज्ञ का होना जरूरी है. इससे पूर्व सितम्बर  2017 में चंडीगढ़ हाई कोर्ट ने यह निर्णय दिया था कि पैथ लैब चलाने के लिए एमबीबीएस का डाक्टर का होना अनिवार्य है, जिसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में एसोसिएशन द्वारा एक याचिका दायर की गई थीए जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने  यह फैसला दिया.सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ऐसा भी संभव नही होगा कि किसी पोस्ट ग्रेजुएट पैथोलाजिस्ट के नाम पर कोई लैब खोल ले, क्योंकि अब पैथोलाजिस्ट का मौके पर होना जरूरी होगा.
रिपोर्ट पर किसी प्रकार की कोई डिजिटल साइन नही चलेंगे. लैब में उपस्थित पोस्ट ग्रेजुएट पैथोलाजिस्ट के साइन ही चलेंगे और ये साइन भी तब होंगे जब वह लैब में उपस्थित होगा. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से  लैब संचालक सकते में है, क्योंकि अधिकतर लैब संचालकों के पास पैथोलाजी में पोस्ट ग्रेजुएट किए विशेषज्ञ नही है. जानकारी के मुताबिक, लगभग हर निजी अस्पताल में इसी प्रकार बिना पैथोलाजी में पोस्ट ग्रेजुएट विशेषज्ञों के बिना लैब चलाई जा रही है. निजी अस्पतालों के अतिरिक्त भी न जाने कितनी ऐसी पैथोलाजी लैब है जो बिना विशेषज्ञों के ही चल रही है और उनकी कोई मान्यता ही नही है और न ही इन लैबोरेट्री की रिपोर्ट को कोई मानने को तैयार है.
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को अमल में लाने की जि मेवारी प्रत्येक प्रदेश के स्वास्थ्य महा निदेशक की है. अब देखना यह है कि कब तक इस निर्णय को स्वास्थ्य विभाग  लागू करवाने में सफल होता है या फिर पुराने तरीके से ही मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ होता रहेगा.
इस संबंध में जब यमुनानगर जिले के पोस्ट ग्रजुऐशन पैथोलाजिस्ट एवं एसोसिएशन आफ पीजी पैथोलाजिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी डा.रमेश गर्ग से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यदि ऐसा होता है तो हर लैब की रिपोर्ट मान्य होगी. 

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