आज महाशिवरात्री है यानि भगवान शिव की अराधना का महत्वपूर्ण दिन. इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 13 और 14 फरवरी को मनाया जा रहा है. शिवरात्री के दिन भक्त पूरे श्रद्धा भाव से उपवास रखते हैं. इस दिन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है.
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था. कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी भी मान्यता है कि सृष्टि की रचना इसी दिन हुई थी. भक्त इस दिन अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए शिव मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं. हर साल में 12 शिवरात्रियां आती हैं, जो कि हर माह की चौदहवीं तिथि को मनाया जाता है लेकिन फाल्गुन माह की शिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है.
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा और अभिषेक करने का प्रावधान है. कई लोग जल से अभिषेक करते हैं और कुछ लोग दूध से. कुछ लोग सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों या तीर्थों में स्नान करते हैं. शिवरात्रि की रात जागरण करने की मान्यता भी है. कुछ लोग सूर्योदय के समय पवित्र स्थानों या तीर्थों में स्नान करते हैं. शिवरात्रि की रात जागरण करने की मान्यता भी है. कहीं-कहीं पर आज के दिन मंदिरों से भगवान शिव की बारात भी निकाली जाती है. कई स्थानों पर मंडप लगाकर शिव-पार्वती का विवाह भी करवाया जाता है.
महाशिवरात्रि 2018 पूजा शुभ मुहूर्त:
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 13 फरवरी की आधी रात से शुरु होकर 14 फरवरी तक रहेगा. इस दिन भगवान शिव का पूजन सुबह 7 बजकर 30 मिनट से शुरु होकर दोपहर 3 बजकर 20 मिनट तक किया जाएगा.
इस बार महाशिवरात्रि का व्रत करने वालों को संक्रांति का भी शुभ फल प्राप्त होगा. इस दिन बुध ग्रह, कुंभ राशि में आएंगे और सूर्य से मिलेंगे. जिसकी वजह से भी इस बार की शिवरात्रि काफी महत्तवपूर्ण है.
इन वस्तुओं से करें भगवान शिव की पूजा
धतूरा और भांग
पानी, दूध और शहद के साथ भगवान शिव का अभिषेक.
सिंदूर और इत्र शिवलिंग को लगाया जाता है. यह पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है
बेल के पत्ते जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं
फल, जो दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि को दर्शाते हैं.
दीपक जो ज्ञान की प्राप्ति के लिए अनुकूल है.
जलती धूप, धन, उपज (अनाज).
पान के पत्ते जो सांसारिक सुखों के साथ संतोष अंकन करते हैं