Wednesday, December 11, 2024
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मोदी सरकार बनने के बाद हुए 15 लोकसभा उपचुनाव, सिर्फ 2 में मिली जीत

यूपी और बिहार से आए उपचुनाव के नतीजे बीजेपी को परेशान करने वाले हैं.

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यूपी और बिहार से आए उपचुनाव के नतीजे बीजेपी को परेशान करने वाले हैं. दोनों राज्यों में हुए लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, बिहार की दो में से एक विधानसभा सीट पर ही उसे जीत मिली. बीजेपी के लिए चिंता की बात ये है कि साल 2014 के बाद राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश तीनों राज्यों में हुए उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. और, तीनों ही राज्यों में उसी की सरकार है. वहीं, पंजाब के गुरुदासपुर में विनोद खन्ना की सीट भी बीजेपी के हाथ से निकल गई थी.

साल 2014 के आम चुनाव से ही एक तरह से देखा जाए तो देश में नरेंद्र मोदी की लहर है. पहले केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार और उसके बाद एक के बाद एक 21 राज्यों में बीजेपी की सरकार बनी. इन सभी चुनावों में मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी को शानदार सफलता मिली. लेकिन, दूसरी तरफ साल 2014 के बाद से हुए उपचुनावों में गुजरात की वड़ोदरा और मध्यप्रदेश की शहडोल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव को छोड़ दें तो बीजेपी को हार का ही सामना करना पड़ा है.

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इन सीटों पर मिली हार

साल 2014 में मैनपुरी और वड़ोदरा लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे. इसमें मैनपुरी पर सपा और वड़ोदरा पर बीजेपी को जीत मिली. साल 2015 में प. बंगाल के बनगांव में तृणमूल और तेलंगाना के वारंगल में हुए लोकसभा उपचुनाव में टीआरएस को जीत मिली. साल 2016 में प बंगाल के तमलुक और कूच बेहर दोनों जगह तृणमूल को सफलता मिली. साल 2017 में पंजाब के गुरुदासपुर में जहां कांग्रेस वहीं श्रीनगर से नेशनल कॉन्फ्रेंस जीती.

साल 2018 और निराश करने वाला रहा

साल 2018 में लोकसभा उपचुनाव तो बीजेपी के लिए और चिंता लेकर आए. राजस्थान के अलवर और अजमेर दोनों सीटों पर बीजेपी अपनी सीट नहीं बचा पाई. इसके बाद प बंगाल के उलुबेरिया सीट को भी तमाम कोशिशों को बाद नहीं जीत पाई. अंत में बुधवार को यूपी के गोरखपुर और फूलपुर और बिहार की अररिया सीट पर भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा.

2019 में हो सकती है मुसीबत

ऐसे में देखा जाए तो यह बीजेपी के लिए चिंता की बात है. एक तरफ राज्यों में उसकी सरकार बनती जा रही है तो दूसरी तरफ उपचुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी के लिए डर इस बात का है कि इस तरह का ग्राफ बना रहा तो साल 2019 के आम चुनाव में सत्ता विरोधी माहौल न बन जाए और उसकी स्थिति खराब हो जाए.

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