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बिलासपुरराजनीति

अरपा विकास प्राधिकरण: पुरानी परियोजना पर आयुक्त के बयान से जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही हैं….शैलेश

अरपा विकास प्राधिकरण: पुरानी परियोजना पर आयुक्त के बयान से जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही हैं….शैलेश

बिलासपुर। अरपा बचाव पदयात्रा मुहिम के जरिये शहर विधायक मंत्री अमर अग्रवाल से कांग्रेसीयों द्वारा गंभीर आरोप लगया गया है कांग्रेसियो ने कहा मंत्री अपने डैमेज कंट्रोल के लिए महापौर, सभापति से लेकर एल्डरमैन और पार्षद तक को फील्डिंग में लगाया जिससे काम नही बना तो डैमेज कंटोल की कमान सम्हालने निगम आयुक्त को आगे लाया गया और अखबार के माध्यम से आयुक्त का बयान छपवाया है जो कि पूरी तरह से भ्रामक है और वर्षों पुरानी परियोजना को आयुक्त के मुंह से कहलवा कर लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही हैं।

मालूम हो कि कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता शैलेश पांडेय ने बताया कि निगम आयुक्त ने अपने बयान में कहा है की अरपा विकास का मास्टर प्लान 2033 बनकर तैयार है जबकी अरपा विकास का प्लान 5 वर्ष पूर्व वर्ष 2013 में एसोसिएट्स साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा बनाकर प्रकाशित किया जा चुका है। प्रकाशित विकास योजना के जल विज्ञान एवं नदी चैनलाइजेशन की कंडिका 4.4.3 में दो ब्रिज और 7 वाटर वेयर बनाने की बात लिखी है । इसी मास्टर प्लान के अगले अध्याय में उपलब्ध भूमि की पूर्ण जानकारी दी हुई है और जितनी भी रिटेनिंग वॉल घाट में बोटिंग,भैसाझार से पानी लाने की व्यवस्था,सिटी म्यूजियम या कमर्शियल दुकानें सड़कें, गार्डन ,पार्क भवन बनाने की सारी बातें विकास प्लान में लिखी हुई है। वहीं मंत्री अमर इसका पिछले चुनाव में गुणगान भी करते दिखे थे, लेकिन अब आयुक्त के माध्यम से पुरानी बातों को दोहराया जा रहा है। आठ करोड़ 20 लाख शासन के द्वारा फिर से स्वीकृत किए गए हैं डीपीआर बनाने के लिए लगभग 1200 एकड़ निजी भूमि आ रही है और किसी भी निजी भूमि अधिग्रहण के लिए 70% भू-धारकों की सहमति होना आवश्यक है। सिंगल विंडो की जो बात कही जा रही है उसमें से कई लोगों को सैकड़ों आवेदन पेंडिंग है उनका निराकरण अब तक नहीं किया गया है जिसकी वजह से लोगों को हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ रहा है और अपनी जमीन खरीदी बिक्री नहीं कर पा रहे हैं।

जिस प्राधिकरण के गजट नोटिफिकेशन को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने विधि शून्य घोषित किया है । उसे प्रशासकिय स्वीकृति मिल जाना ऐसा अंधेर भाजपा शासन काल में ही हो सकता है। निगम आयुक्त ने कहा की अरपा योजना 16.8 किमी की है । किन्तु योजना के दोनों ओर की चैड़ाई बताने से वे क्यों डर रहे है । उनके वक्तव्य में कहा गया है कि योजना में 91 किमी सड़क निर्माण होगा । तब जनता स्वयं यह अनुमान लगा लेगी अरपा के दोनों ओर 200 मीटर भूमि क्यों ली जा रही है। विकास योजना में निजी भूमि 291.41 हेक्टेयर तथा शासकीय भूमि 360.05 हेक्टेयर ली जा रही है । आयुक्त स्वयं कह रहे है कि निजी भूमि को विकसित कर उसका 35 प्रतिशत भु-स्वामी को दिया जाएगा । अर्थात भू-स्वामी से लिया 100 प्रतिशत जाएगा और उसे 35 प्रतिशत वापस किया जाएगा। प्राधिकरण भू-स्वामी को भू-अर्जन का नगद मुआवजा देगी या नही इस पर आयुक्त खामोश है। प्राधिकरण को पूर्व में तीन करोड़ स्वीकृत हुआ अब 8 करोड़ 20 लाख देने की घोषणा है पर सब जानते है कि राज्य शासन ने अपने इस वर्ष के बजट में तथा निगम के बजट में अरपा विकास प्राधिकरण के लिए कोई राशि आबंटित नही की थी। तो यह 8 करोड़ रुपये कहा से आ रहे है।

भाजपाईयों की उत्तेजना प्राधिकरण में धांधली का प्रमाण है: शैलेश

शैलेश ने कहा कि अरपा विकास प्राधिकरण पर प्रश्न उठने से नगर पालिक निगम बिलासपुर के सभापति इतना उत्तेजीत क्यों हो रहे है । अरपा बचाव पद यात्रा की घोषणा के दिन से महापौर निगम आयुक्त और सभपति स्वयं अरपा (अमर) विकास प्राधिकरण को बचाने में लगे है । जबकि कांग्रेस का आंदोलन अरपा बचाने के लिए है । जिस मुद्दे पर वे स्वतः सफाई दे रहे है तो पुछने वाले फर्जी कैसे? सभापति स्वयं जानते है कि अरपा योजना पर एक से अधिक बार सामान्य सभा में प्रश्न हुए है और सत्तापक्ष बौखला जाता है। तथा तार्किक जवाब नहीं दे पाता क्योंकि सत्ता के पास तार्किक जवाब है ही नही अरपा जहां खारून से मिलती है वहां लगा ईंट भट्ठा किसका है ? कुछ माह पूर्व इसी निगम के तीन देवेभो कर्मचारियों ने सभापति के निजी आवास पर काम करने से इंकार किया था। साथ ही यह भी कहा था कि सभापति उनसे ईंट भट्ठे पर बंधवा मजदूर के रूप में काम कराते है।

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