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राजनीति

वक्त के जूते से डरो नौटंकी-नरेशों छल-प्रपंच-सपनों की हत्या से जुगाड़ा ये राजमुकुट तुम्हारी ही तरह किसी का सगा नहीं है: कुमार विश्वास

ताज़ख़बर 36गढ़:- राजनिवास में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके तीन मंत्रियों के धरने के साथ ही दिल्ली सरकार और अधिकारियों की रार बढ़ गई है। इस रार की बड़ी वजह यदि मुख्यमंत्री का हठ कहा जाए तो बहुत गलत नहीं होगा। पिछले चार महीने से चल रहे इस टकराव को मुख्यमंत्री या दिल्ली सरकार की ओर से खत्म करने की कोई कोशिश कभी नजर नहीं आई। उलटे विधायकों की ओर से तनाव बढ़ाने के लगातार होते प्रयासों ने गतिरोध को और बढ़ाने का काम अवश्य किया है।

विगत फरवरी माह में मुख्यमंत्री आवास पर मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ हुई मारपीट के बाद अधिकारियों ने आंदोलन शुरू करते हुए मुख्यमंत्री की ओर से माफी की मांग की थी। लेकिन, अपनी पहले कही गई बातों के लिए माफी मांगकर मानहानि के कई मुकदमों से बच निकलने वाले मुख्यमंत्री ने दिल्ली सरकार का कामकाज सुचारु रूप से चलाने के लिए अधिकारियों से माफी मांगने में रुचि नहीं दिखाई। जहां एक ओर मुख्यमंत्री ने माफी नहीं मांगी, वहीं आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों ने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में ही बेतुके बयान देकर अधिकारियों के खिलाफ लोगों को उकसाया। इससे मामला और गंभीर हो गया। इन बयानों पर मुख्यमंत्री के मौन ने आग में घी डालने का काम किया।

मुख्य सचिव से मारपीट के अगले ही दिन उत्तम नगर से आप विधायक नरेश बाल्यान ने एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में कहा कि काम में अड़ंगा डालने वाले अधिकारियों की पिटाई की जानी चाहिए। यही नहीं, दिल्ली सरकार के मंत्री भी लगातार अधिकारियों पर काम न करने के आरोप लगाते रहे, जिससे सरकार और अधिकारियों के बीच खाई चौड़ी होती रही।

सोमवार को धरने की शुरुआत करते समय मुख्यमंत्री की ओर से अधिकारियों पर हड़ताल करने का भी आरोप लगाया गया, जबकि सचिवालय में अधिकारी सामान्य तौर पर कामकाज करते नजर आए। दिल्ली सरकार का दावा है कि उसने अधिकारियों से गतिरोध खत्म करने के उद्देश्य से कई बार उपराज्यपाल से मुलाकात की। इस दावे को यदि सही मान भी लिया जाए तो भी सरकार का रुख कभी अधिकारियों से विवाद खत्म करने को लेकर गंभीर नहीं दिखाई दिया।

स्थिति यह है कि सरकार के रवैये से नाराज कई अधिकारियों को अदालतों की भी शरण लेनी पड़ी। इस सबके बीच विपक्षी दलों का कहना है कि दिल्ली सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए केंद्र सरकार, उपराज्यपाल और अधिकारियों पर दोष मढ़ रही है। ये आरोप भी दिल्ली सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।

झूठ के मुंह से सत्य की बातें : विश्वास

अरविंद केजरीवाल के धरना-प्रदर्शनों में अपनी कविताई से समर्थकों में जोश भरने वाले कुमार विश्वास अब पार्टी नेताओं को आईना दिखाने में लगे हैं। केजरीवाल ने जब सोमवार को उपराज्यपाल के निवास पर धरना शुरू किया तो विश्वास की ओर से दो ट्वीट किए गए। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर बहुत कुछ कह दिया। पहले ट्वीट में उन्होंने कहा कि तुम सब पहले पकौड़ा-शिकंजी-आंदोलन या जो भी बनाते थे वो तो पता नहीं, पर अब तुम सब मिलकर इस देश के भोले-भाले लोगों का क्या बना रहे हो, ये साफ-साफ पता चलता है।

वक्त के जूते से डरो नौटंकी-नरेशों छल-प्रपंच-सपनों की हत्या से जुगाड़ा ये राजमुकुट तुम्हारी ही तरह किसी का सगा नहीं है। एक अन्य ट्वीट में कहा- ‘बाकी तो सब है इस तमाशे में, सिर्फ गायब हैं कथ्य की बातें! क्या गजब दौर ए बेहयाई है, झूठ के मुंह से सत्य की बातें।

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