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दिव्यांग युवती के पास कॉलेज एडमिशन के लिए नहीं थे पैसे, कलेक्टर ने अपने पास से दिये चार हजार रुपये

बिलासपुर-ताज़ाख़बर36गढ़:-  छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल की 12वीं परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण दिव्यांग युवती कॉलेज में एडमिशन के लिए आर्थिक संकटों से लड़ते हुए आज कलेक्टर जनदर्शन में गुहार लगाने पहुंची, दिव्यांग युवती की आपबीती सुनकर पढ़ाई की लालसा देख एडिशनल कलेक्टर मानवता का परिचय दिया उन्होंने कॉलेज एडमिशन की फीस पटाने अपनी जेब से 4 हजार रुपए निकालकर दे दिए।

मालूम हो कि जिले के महिला आश्रम में रहने वाली आदिवासी दिव्यांग युवती धनेश्वरी मरावी अपनी ट्राइसिकल में कलेक्टोरेट पहुंची, कलेक्ट्रेट परिसर में ट्राइसिकल से उतरकर हाथो के बल चलते हुए वह मंथन सभाकक्ष में आयोजित जनदर्शन में पहुंची और अपनी पढ़ाई की इच्छा व्यक्त करते हुए उसने बताया कि वह आर्थिक संकट से जूझ रही है और पैरों से विकलांग होते हुए भी धनेश्वरी ने 12वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर आगे महाविद्यालय की पढ़ाई करने चाहती है जिसके एडमिशन के लिए उसके पास पैसे नही है इतना ही कहना था कि जनदर्शन में फरियादियों की समस्या के निराकरण करने बैठे एडिशनल कलेक्टर बीएस उइके ने युवती से संवेदनाभरे शब्दों में उसके परिवार के बारे में पूछा तो दिव्यांग युवती ने करुणा भरे स्वर में उत्तर देते हुए कलेक्टर को बताया कि विगत तीन वर्ष पहले माता-पिता का सहारा सर से हटते ही दिव्यांगना के दोनों भाइयों ने उसे प्रताड़ित करते हुए यातनाएं देने लगे और रोज़ाना बोझ भरे ताने मरते थे और एक दिन भाइयो ने उसे घर से निकाल दिया। काफी जगह भटकने के बाद उसे महिला आश्रम में रहने का सहारा मिला युवती ने बताया कि माता-पिता ने ही उसे घर के पास ही सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने दाखिला दिलाया था जिसका परिणाम है कि वह शासकीय कन्या हायर सेकंडरी स्कूल सरकंडा कन्या शाला से स्वमं के बल पर 12वीं की बोर्ड परीक्षा 71 प्रतिशत अंको के साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया है और वह आगे कॉलेज की पढ़ाई करना चाहती है कुछ बनना चाहती है जिन भाइयो ने उसे दिक्कारा है उन्हें और दिव्यांगनो को बोझ समझने वाले सारे लोहा को बताना चाहती है कि दिव्यांग होना बोझ नही होता युवती की आपबीती सुनकर एडिशनल कलेक्टर उइके तक की आंखें नम हो गई और उन्होंने युवती से कहा चिंता मत करो हर कोई तुम्हारे जज्बे को देख सलाम कर रहा है तथा एडिशनल कलेक्टर उइके ने तत्काल अपनी जेब से चार हजार रुपए निकाले और धनेश्वरी के हाथों में रख दिए।

एडिशनल कलेक्टर ने कहा कि जाओ अब एडमिशन की फीस की समस्या खत्म हो गई। एडिशनल कलेक्टर द्वारा किये गए पुण्य को देखकर जनदर्शन में उपस्थित आगंतुकों ने काफी सरहना करने लगे तथा कलेक्टर से मिले रुपयों ने दिव्यांग युवती के चेहरे पर ऐसी मुस्कान आई जिसे देख मानवता भी अपने आप मे गौरवान्वित हो गई।

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