नलजल योजना में करोड़ो बहाने के बावजूद एनटीपीसी के गोद ग्राम दर्राभाँटा में डायरिया के प्रकोप से एनटीपीसी प्रबंधक की खुली पोल…
बिलासपुर-ताज़ाख़बर36गढ़:- एनटीपीसी प्रबंधन ने दावा किया है कि एक करोड़ रुपए की लागत से दर्राभांठा में नलजल योजना के तहत शुद्ध पानी उपलब्ध कराया जा रहा है तो मामले में प्रश्न उठता है शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के बावजूद ग्राम दर्राभाँटा में डायरिया कैसे फैल गया जिसका जवाब एनटीपीसी प्रबंधन के पास नहीं है।
मिली जानकारी के अनुसार एनटीपीसी प्रबंधन की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार एनटीपीसी सीपत द्वारा प्रभावित ग्रामों में नैगम सामाजिक दायित्व के अंतर्गत विभिन्न विकास कार्य किया जा रहा है। जीवन जीने का आधार शुद्ध पेयजल आरओ जल उपचार संयंत्र स्थापित कर लोगों को पेयजल मुहैया किया जा रहा है।
अब तक परियोजना के आसपास सीपत, दर्राभांठा, जांजी, गतौरा एवं रांक ग्रामों को पेयजल मुहैया कराने के लिए प्रति घंटा 1000 लीटर जल उपचार करने का क्षमता वाले आरओ जल उपचार संयंत्र स्थापित किया गया है।
विशेष रूप से ग्राम दर्राभांठा में 1 करोड़ रुपए के लागत की जन स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से घर-घर नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए कार्य शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत प्रथम किस्त 22 लाख 59 हजार रुपए दिए गए हैं। बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण और जरूरत के समय आसपास के ग्रामों में जरूरी दी जा रही है। हाल ही में दर्राभांठा के डायरीया पीड़ितों को जरूरी स्वास्थ्य सेवा के साथ-साथ दैनिक 12 टैंकरों के माध्यम से शुद्ध पेयजल मुहैया कराया जा रहा है। सिर्फ ग्रामों में ही नहीं, विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए सीपत बालक एवं बालिका उच्च विद्यालय, पंधी, रांक, गतौरा एवं खमरिया स्कूलों में भी आरओ उपचार जल संयंत्र स्थापित किया गया है।
एनटीपीसी जातीय स्तर के वृहद संस्थान व ऊर्जा क्षेत्र के प्रमुख महारत्न कंपनी हाने के नाते पर्यावरण के सभी मापदण्डों को अपनाते हुए अपनी कार्य क्षेत्र में उत्कर्षता से कार्य कर रहा है। एनटीपीसी सीपत परियोजना स्थापना के उपरांत आसपास के लोगों को परियोजना में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में हजारों लोंगों को रोजगार मुहैया करा रहा है। जैसे प्रभावित लोंगों को परियोजना में नौकरी, आसपास के ग्रामों के लोगों को संविदा श्रमिक एवं नगर परिसर में नजदीक ग्रामों के पुरुष व महिलाएं घरेलू कामकाज में सहायक के तौर पर कार्य कर रहे हैं।
अपनी खुद की पिट थपथपा ने के बजाय एनटीसीपी प्रबंधन ने जांच कराने की जहमत नहीं उठाई कि आखिर वहां डायरिया फैला कैसे। विज्ञप्ति में यह भी नहीं बताया गया है कि उन्होंने अब तक पानी का सेंपल लिया है या नहीं। डायरिया फैलने और सैकड़ों ग्रामीणों की जान खतरे में पड़ने के बाद एनटीपीसी प्रबंधन सीएसआर मद से किए गए कार्यों को गिनाकर खुद की उपलब्धि बताते हुए नागरिको का ध्यान भटकाने में लगा हुआ है।